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________________ २६२ ___* पार्श्वनाथ चरित्र रिकाओंको भोजन कराना और वस्त्रदान देना (२३) धर्मार्थ किसीकी कन्याका व्याह करा देना (२४) नाना प्रकारके यश कराना (२५) लौकिक तीर्थकी यात्रा करना एवं उसकी मानता करना, तीर्थ-स्थानोंमें पिण्ड-दान देना, मुण्डन कराना या छाप लेना (२६) तीर्थ यात्राके निमित्त भोजनादि देना (२७) धर्मार्थ कुए, आदि खुदवाना (२८) क्षेत्रादिमें गोचरदान करना (२६) पितृओंके निमित्त दान देना (३०) काक और मार्जार प्रभृतिको पिण्डका दान देना (३१ पीपल, निम्ब, वट और अम्रादि वृक्ष रोपना और उन्हें जल देना (३२) सांडकी पूजा करमा (३३) गो पुच्छकी पूजा करना (३४) शीतकालमें धर्मार्थ अग्नि जलाना (३५) गूलर, इमली आदि वृक्षोंका पूजन करना ( ३६ ) राधा और कृष्णादिके रूप धारण करनेवाले नटोंके नाटक आदि देखना (३७) सूर्य-संक्रान्तिके दिन विशेष रूपसे स्नान पूजा और दानादि करना (३८) रखी, या सोम आदि किसी बारके दिन एक बार भोजन करना (३६) उत्तरायणके दिन विशेष स्नानादि करना (४०) शनिवारको पूजाके निमित्त तिल और तेल आदिका विशेष रूपसे दान करना (४१) कार्तिक मासमें स्नान करना (४२) माघ मासमें स्नान करना और घृत एवं कम्बल आदिका दान देना (४३) चैत्र मासमें धर्मार्थ सांवत्सरिक दान और नवरात्र करना (४४) आजा पड़वेके दिन गोहिंसादि करना (४५) भ्रातृ द्वितीया मानना ( ३६ ) शुक्ल द्वितीयाको चन्द्रदर्श करना (४७) माघ शुक्ल तृतीयाके दिन गौरी
SR No.023182
Book TitleParshwanath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain Pt
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1929
Total Pages608
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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