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________________ * पार्श्वनाथ-चरित्र * **** ********************* **** ******* वसुराजाकी कथा । **** ************************** - इस भारतवर्ष में शुक्तिमती नामक एक नगरी थी। उस नगरी में अभिचन्द्र नामक परम प्रतापी राजा राज करता था। उसके कमलावती नामक एक पटरानी थी। कुछ दिनोंके बाद इस रानीके उदरसे वसु नामक एक पुत्र उत्पन्न हुआ। वसु बाल्यावस्थासे ही परम चतुर और सत्यवादी था। खेल-कूदमें भी वह सदा सत्य ही बोलता था। यद्यपि वह विनयी, न्यायवान्, गुण सागर और समस्त कलाओंमें कुशल था, तथापि सत्यव्रत पर उसकी विशेष अनुरक्ति थी, वह स्वप्नमें भी असत्यकी इच्छा न करता था। ___ इसी नगरमें क्षीरकदम्बक नामक एक उपाध्याय रहते थे। बे ब्रह्मविध्यामें निपुण और समस्त शास्त्रोंके ज्ञाता थे। उनके पर्वत नामक एक पुत्र था। वसु, पर्वत और विदेशसे आया हुआ नारद यह तीनोंही क्षीरकदम्बके पास विद्याध्ययन करते थे। तोनोंकी गुरुपर अत्यन्त श्रद्धा भक्ति थी। कहा भी हैं कि “जिससे एक अक्षर भी सीखनेको मिले उसको गुरु मानना चाहिये । जो ऐसा नहीं करता वह सो बार श्वान योनिमें जन्म लेनेके बाद चाण्डाल होता है। संसारमें एक भी ऐसी वस्तु नहीं है जो एक अक्षर भी सिखानेवाले गुरुको देकर उसके ऋणसे मुक्त हुआ जाय। क्षीरकदम्बकके निकट यह तीनों नाना प्रकारके शास्त्रोंका अध्ययन
SR No.023182
Book TitleParshwanath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain Pt
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1929
Total Pages608
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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