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________________ * पाश्वाथ चरित्र * ब्राह्मणने कहा - "हे राजन् ! शास्त्रमें लिखा है कि स्वप्नमें यदि कोई अपनेको गाय, बैल, वृक्ष, पर्वत, महल पा हाथीपर चढ़ता हुआ, रुदन करता हुआ और अगम्य स्थानमें जाता हुआ देखे, तो समझना चाहिये कि शीघ्रही मृत्यु होनेवाली है, क्योंकि यह सब बातें मृत्युसूचक मानी जाती हैं। यदि स्वप्न में मन्त्रबलसे अन्न, वस्त्र, फल, ताम्बूल, पुष्प, दीप, दधि, ध्वजा, रत्न, चामर और छत्र प्रभृति चीजोंकी प्राप्ति होती दिखायी दे, तो समझना चाहिये, कि शीघ्रही कुछ धन मिलनेवाला है । देवदर्शन शुभ और देव- पूजा बहुत ही शुभ मानी जाती है । राज्यलाभ, पयपान, और सूर्य या चन्द्रके दर्शनसे भी धन प्राप्त होता है । अपनेको तैल या रोलीसे लिप्त, नृत्य गीतादिमें लीन या हंसता हुआ देखनेसे दुःखकी प्राप्ति होती है। स्वप्न शास्त्रमें यह भी बतलाया गया है कि प्रशंसनीय सुफेद वस्तुओंका दर्शन सदा शुभ होता है और काली चीज़ों का दर्शन होना ठीक नहीं। इन सब बातोंपर ध्यान देनेसे मालूम होता है कि रानीने जो स्वप्न देखा है, वह बहुत ही शुभ है। इससे वे शीघ्रही एक पुत्र रत्नको जन्म देंगी। ब्राह्मणकी यह बातें सुन राजाको बड़ा आनन्द हुआ और उसने उसे विपुल धन देकर बिदा किया। कुछ समय के बाद उसके कथनानुसार रानोने यथा समय एक तेजस्वी पुत्रको जन्म दिया । राजाने उसका नाम भीमकुमार रखा। उसके लालन-पालनके लिये पांच धात्रियां नियुक्त की गयीं। जब यह कुमार बड़ा हुआ, तब
SR No.023182
Book TitleParshwanath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain Pt
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1929
Total Pages608
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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