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________________ आदिनाथ चरित्र ५१४ "सब चक्रवर्ती कश्यपगोत्रके और सुवर्णकी सी कान्तिवाले होंगे I उनमें आठ चक्री तो मोक्षको प्राप्त होंगे, दो स्वर्गको जायेंगे और दो नरकको । मेरे समयमें जैसे तुम हुए हो, वैसेही अयोध्या नगरी में अजितनाथ के समय में सगर नामके दूसरे चक्रवर्त्ती होंगे। वे सुमित्र राजा और यशोमती रानीके पुत्र होंगे । उनकी साढ़े चार सौ धनुषकी काया और वहत्तर लाख पूर्व की आयु होगी । श्रावस्ती नगरीमें समुद्रविजय राजा और भद्रारानी के पुत्र माघवा नामके तीसरे चक्रवर्ती होंगे। उनकी साढ़े चालीस धनुषकी काया और पाँच लाख वर्षकी आयु होगी । हस्तिनापुर में अश्वसेन राजा और सहदेवी रानीके पुत्र सनत्कुमार नामक चौथे चक्रवत्तीं तीन लाख वर्षकी आयुवाले और साढ़े उन्तालीस धनुषकी कायावाले होंगे। धर्मनाथ और शान्तिनाथ 1 1 I वे अरनाथ और के बीच में होनेवाले ये दोनों चक्रवर्त्ती तीसरे देवलोक में जायेंगे शान्ति. कुन्थु, और अर- ये तीन तो अर्हन्त ही चक्रवर्त्ती होंगे। इनके बाद हस्तिनापुर में कृतवीर्य राजा और तारा रानीके पुत्र सुभूम नामके आठवें चक्रवर्ती होंगे उनकी साठ हज़ार वर्ष की आयु और अट्ठाईस धनुषकी काया होगी। मल्लिनाथके समय के बीच में होंगे और सातवें नरक में जायेंगे इनके बाद वाराणसीमें पद्मोत्तर राजा और ज्वाला रानी के पुत्र पद्म नामके नवें चक्रवर्ती होंगे। उनकी तीस हज़ार वर्षकी आयु और बीस धनुषकी काया होगी । काम्पिल्य- नगर में राजा महाहरि और मेरा देवीके पुत्र हरिषेण नामक दसवें चक्रवर्त्ती दस 1 प्रथम प
SR No.023180
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1924
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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