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आदिनाथ चरित्र :
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पीछे महामुनि जिस तरह मान से उतरता है—मान का त्याग करता है-उसी तरह प्रसन्नचित्त शक्रेन्द्र विमान से उतर कर प्रभु के पास प्राया। प्रभु को देखते ही उस देवाधिपति ने पहले प्रणाम किया; क्योंकि 'स्वामी के दर्शन होतेही प्रणाम करना स्वामी की पहली भेट है।
[पृष्ठ १७४]