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________________ प्रथम पर्व १४३ आदिनाथ चरित्र दूसरे आरे में मनुष्य दो पल्योरमकी आयुष्य वाले, चार कोस ऊँचे शरीर वाले और तीसरे दिन भोजन करने वाले होते हैं उस समय कल्पवृक्ष किसी क़दर कम प्रभाव वाले, पृथ्वी न्यून स्वादवाली और पानी भी मिठास में पहले से कुछ उतरते हुए 1 1 होते हैं । पहले आरेकी तरह, इस आरे में भी, हाथीकी सूँडमें जिस तरह मुटाई कम होती जाती है; उसी तरह सारी बातों में अनुक्रमसे कमी होती जाती है I तीसरे आरेमें, मनुष्य एक पल्योपम जीनेवाले, दो कोस ऊँचें शरीर वाले और दूसरे दिन भोजन करने वाले होते हैं। इस आरे मेंभी, पहले की तरह ; शरीर, आयुष्य, पृथ्वीकी मधुरता और कल्पवृक्षोंकी महिमा कम होती जाती है । चौथा आरा पहले के प्रभाव - ( कल्पवृक्ष, स्वादिष्ट पृथ्वी और मधुर जल वगैरः) से रहित होता है। उसमें मनुष्य कोटी पूर्वकी आयुष्य वाले और पाँच सौ धनुष ऊँचे शरीर वाले होते हैं । पाँचवे आरे में मनुष्य सौ बरसकी उम्रवाले और सात हाथ ऊँचे शरीर वाले होते हैं । छठे आरेमें सोलह सालकी आयुवाले और एक हाथ उँचे शरीर वाले होते हैं । एकान्त दुःखमा नामक पहले आरेसे शुरू होने वाले उत्सपिणी कालमें, इसी प्रमाणसे अवसर्पिणी से विपरीत, छहों आरोंमें मनुष्य समझने चाहिएँ ।
SR No.023180
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1924
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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