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________________ ( २६ ) F३८ पाणीहारु, चुलो, घण्टी, खाण्डणी, सावरणी ए पांच - स्थानके सारी जयणा राखवी क० .... .... १८ ३९ श्रीजिनपूजादिअर्थे गृहस्थे केवी रीते स्नान करवू ते . संबंधि सविस्तर वर्णन ....... .... .... ४. केवळ द्रव्य स्नानथी देह शुद्धि नथी थती ते उपर स्वपर - शास्त्रना पुरावा आपेला छे . ..... .... . .... ४१ क्रोधादि चार कषाय न करवा विषे वर्णन.......... २० ४२ श्रीदेवगुर्यादिक कोइनी पग निंदा न करवी क० .... :४३ श्रीदेवगुर्वादिकनी निंदा करनाराओ भवांतरमा महादुःखोने पामे छे. .... . .... .... .... .... २० ४४ दुर्जन माणसोनो संग न करवा विषेनुं वर्णन. .... २० ४५ देवादिद्रव्यने भक्षण, उपेक्षणादि करनाराओ नानाविध अशुभ कर्मना भोगवनारा थाय छे तेवू स्वपरशास्त्रमा कहेलसविस्तरवर्णन .... .... .... २१ ४६ जेसाधुदेवादिकद्रव्यनीरक्षानिमत्ते उपदेशनी उपेक्षणा करे तो ते साधुने पण अनन्त संसारी कह्यो छे. .... २३ ४७ देवादिद्रव्यथीदूषित थयेल गृहस्थना घरनुं अन्नादि साधुने तेमज श्रावकवर्गने न कल्पवा विषेनुं वर्णन. .... २४ ४८ देवादि द्रव्यनी रक्षा करनाराओने उभय लोकमां सत्फल प्राप्ति विषय वर्णन. .... ......... .... २४ ४९ आत्महितार्थिओए सात विकथा न करवी क० .... २५ ५. सात विकया करनार रागद्वेषवाळो होवाथी हिताहितने । .. नहीजाणतो भवरूपअटवीमा पुनःपुनपरिभ्रमणकरे एवं क०.२५ ५१ उक्तरिते श्रीपर्युषणापर्व- आराधन करवावडे भव्यजिवो... ‘ने मोक्षप्राप्ति थाय छे एवं छेवटमा दर्शावेल छे....... २५ ५२ ग्रन्थकांनी प्रशस्ति .. .... .......... २५
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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