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________________ तृतीयप्रकाशः (९९) उत्तर-“क्षुद्रोलोभरतिर्दीनोमत्सरीभयवाशठः ॥ अ ज्ञोभवाभिनन्दीस्यानिष्फलारंभसंगतः॥१॥" इतिश्रीअध्यात्मसार श्लोकोक्तलक्षणवालो भवामिनदीजीव . जाणवो. ६६ प्रश्न-कया जीवनी क्रिया अध्यात्मगुणने वृद्धिकरनारी जाणवी ? उत्तर-" शान्तोदान्तःसदागुप्तोमोक्षार्थीविश्ववत्सलः॥ निर्दभायांक्रियांकुर्यात्साध्यात्मगुणवृद्धये ॥१॥' इतिश्रीअध्यात्मसारश्लोकोक्तलक्षणवाळाजीवनी क्रिया अध्यात्मगुणने वधारनारी छे इत्यादि. ६८ प्रश्न-समूर्छिमतिर्यश्चपञ्चेन्द्रियजीवोने छेल्लु एक संहनन अने संस्थान होय के केम? उत्तर-श्रीजीवाभिगमसूत्रना अभिप्राये करीने एक छेल्लु संहनन अने संस्थान जाणवू अने छठा कर्मग्रन्थना अभिप्राये . . . करीने तो छए संहनन अने संस्थान जाणवां. ६८ प्रश्न-देवताओने दांत तथा केश होय ? उत्तर-श्रीउववाइयसूत्रमा देवताओने दान्त तथा केश कहेला छे. तथाचतत्त्पाठः " पंडुरससिसकलविमलणिम्मलसंखगोखीरफेणदगरयमुणालियाधवलदंतसेढी ॥ तथाअंजणघणकसिणरुयगरमणीयणिद्धकेसा ” इति. अने श्री संग्रहणी सूत्रमा नथी कह्या.
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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