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________________ (११) ३२ जम्बूद्वीपना महाविदेहमां ९६ मागधादि तीर्थ क्यां छे अने। तेनेसाधतां त्यांना चक्रवर्जिओ क्यांबाण नाखेछेते कहो ? ५३ ३३ केवली भगवान् पडिलेहणा करे के नहीं ?.... .... ५३ ३४ आ अमुक जीव आठकर्मनो अन्त करशे, एम केवली जागे छे. तेम छमस्थ जाणे के नहीं ?... ..... .... ५३ ३५ ज्ञान अने प्रमाणमां शो विशेष छे ? .... .... ५४ ३६ चारप्रमाण छतां पूर्वोक्त प्रश्नोत्तरमा बे प्रमाण केम कह्या ? ५४ ३७ आज काले आ भरतक्षेत्रमा जातिस्मरण अने अवधिज्ञान ___पामीए के नहीं ? .... .... .... ५४ ३८ जातिस्मरण ज्ञानवालो पोताना केटला पाछला भव देखे ? ५४ ३९ " पञ्चाङ्गी" कोने कहीए ? .... ४० ६ छेद सूत्रना नाम कहो. .... .... .... ५५ ४१ " व्याख्याप्रज्ञप्ति " ए कोर्नु नाम छे ? .... ४२ श्री भगबतीमूत्रमा ४१ शत (शतक) छे. त्या शतशब्दे करी शुं कहेवाय ? .... .... .... ५५ ४३ श्री भगवतीसूत्रना ८४००० के २८८००० पद छ ?.... ५५ ४४ सूत्रना एकपद- केटलं प्रमाण होय ते कहो. .... ५६ ४५ दृष्टिवादना केटला भेदछे. अने कया भेदमा १४ पूर्व जाणवां ४६ कालिक, उत्कालिक, सूत्र कोने कहोए ? .... ५७ ४७ बेघडीना परिमाणवाळी अकाल सन्ध्या केटली छे ? .... ५८ ४८ उक्त चार अकाल सन्ध्या समये शामाटे स्वाध्याय न कराय ५९ ४९ टीप्पणामां राहुनी मस्तक मात्र अने केतुनी कबंध (घड) ____ मात्र आकृति छे तेनुं शुं कारण ? .... ५० आयंबीलमां " हिंग" कल्पे के केम ? .... ५१ " पश्चसौगन्धिक " तान्मूल कोने कहीए ?
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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