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________________ त्रैवर्णिकाचार। २२३ तराजू तथा अपने देश-धर्मके अनुसार प्रचलित पत्थर लोहा आदिके सेर, पावसेर, पाई, पायली आदि तौलने-मापनेके बांटोंको कम ज्यादा न करे ॥ १२१ ॥ न्युनं दीयेत न कापि गृहीयान्नाधिकं कदा । घृतं गुडादि तैलं च धान्यं तु न कदाचन ॥ १२२ ॥ घी, गुड़, तेल, अनाज आदि पदार्थ न तो किसीको तोलमें कमती दे, और न आप किसीसे बढ़ती ले ॥ १२२ ॥ मधु च मधुपुष्पाणि कुसुम्भं धायपुष्पकम् । अहिफेनं विषं क्षारं मूक्ष्मधान्यं तिलादिकम् ॥ १२३ ॥ . घुणितं सकलं धान्यं लाक्षां लोहं च साबुकम् । लोहशस्त्राणि सर्वाणि जीर्णघृतं सतैलकम् ॥ १२४ ॥ पौस्तं माञ्जिष्ठकं क्षेत्रं कूपं जलप्रवाहजम् । इक्षुयन्त्रं तैलयन्त्रं नावं च चर्मभाजनम् ॥ १२५ ॥ लशुनं शृङ्गबेरं च निशाक्षेत्रं च चालजम् । कन्दं मूलं तथा चान्यदनन्तकायिकं परम् ॥ १२६ ॥ सिक्थं च नवनीतं च वनवाटीक्षुकाण्डकम् । पत्राणि नागवल्याश्च वन्हिबाणस्य भेषजम् ॥ १२७ ॥ खेचरं रोम चर्मास्थि शृङ्खलं पादुकाद्वयम् । मार्जनी च पदत्राणं हिंसोपकरणं परम् ॥ १२८ ॥ इत्यादिकमयोग्यं च पूर्वग्रन्थे निषेधितम् । तन्न ग्राह्य वणिग्वर्यैधेमेरक्षणहेतवे ।। १२९ ॥ शहत, महुवेके फूल, कुसूमा, धायटीके फूल, अफीम, विष, क्षार, तिल आदि बारीक अनाज, घुने हुए सब तरहके अनाज, लाख, लोहा, साबूदाना, सब तरहके लोहेके हथियार, पुराना धी, पुराना तेल, पोस्ते, मंजीठाका खेत, कुआ, अरहट (कुएसे पानी खींचनेका रहट), गन्नेका रस निकालनेका यंत्र, घानी, नाव, चमड़ेके मशक आदि बर्तन, लहसन, बेर, हल्दीका खेत, चालज, कन्द, मूल (जड़) तथा दूसरे अनन्तकायिक पदार्थ, मोम, मक्खन, बागबगीचे, गन्नेके पेड़, पान, छोड़नेकी दारू, पारा, ऊन, चमड़ा, हड्डी, लोहेकी सांकल, खड़ाऊ, बहारी, जूते, हिंसाके योग्य अस्त्र-शस्त्र इत्यादि अयोग्य पदार्थोंका, जिनका कि प्राचीन प्रन्थों में निषेध किया गया है, बनिये अपने धर्मकी रक्षाके लिए देन लेन न करें ।। १२३-२९ ।। ____अजाघ्नगोघ्नमत्स्यघ्नाः कल्लालाश्चर्मकारकाः। पापर्धिकः सुरापायी एतैवेक्तुं न युज्यते ॥ १३०॥ बकरी, गाय मारनेवाले कसाई, मच्छी मारनेवाले ढीमर, शराब बेंचनवाले कलार, चमार, पातकी और मदिरा पीनेवाले, इत्यादि नीच लोगोंके साथ बात भी न करे ॥ १३० ॥
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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