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सोमसेनभट्टारकविरचित
पश्चात्, जिनमन्दिरकी लंबाई चौड़ाईके अनुसार पीठबन्ध अर्थात् वेदी रखने के लिए एक चबूतरा बनवाले । बाद सबसे पहले गर्भागार तैयार कराया जाय । इसके बाद क्रमसे दरवाजे, सूत्रनिवासनामका स्थान, मण्डप, और वेदिका बनवावे । मण्डपके दरवाजोंसे बाहर चारों पसवाडोंमें एक मनोहर चित्रशाला, शास्त्र-व्याख्यान स्थान (स्वाध्याय शाला ), हरएक प्रकारके चित्रामोंसे चित्रित एक नाट्यशाला, वायशाला (बाजे बजानेका स्थान ) और एक सुन्दर मानस्तंभकी रचना करावे । इत्यादि सुलक्षणोंसे भरापूरा जिनमदिर बनवावे । जब भन्दिर बनकर पूर्ण होजाय तब कारीगारोंको साथ लेकर अच्छे मुहूर्तमें गाजे बाजे और उत्तम ठाट-बाट के साथ जिनबिंब बनवानेके लिए शिला लानेको जावे। प्रसिद्ध प्रसिद्ध पुण्यस्थानोंमें घूमकर नदी, पर्वत और वनमें जाकर, अच्छी चिकनी, कठिन, सुखदेनेवाली, बजानेसे जिसमें सुर अच्छा निकलता हो ऐसी उत्तम शिला लाकर उसे जिनबिंब बनवाने के लिए अच्छे शिल्पिकारोंके सिपुर्द करे ॥ १९॥
जिनबिंबलक्षण. कक्षादिरोमहीनाङ्गश्मश्रुरेखाविवर्जितम् । स्थितं प्रलम्बितहस्तं श्रीवत्साढ्यं दिगम्बरम् ॥ २५ ॥ पल्यङ्कासनं वा कुर्याच्छिल्पिशास्त्रानुसारतः । निरायुधं च निःस्त्री भ्रूक्षेपादिविवर्जितम् ॥ २६ ॥ निराभरणकं चैव प्रफुल्लवदनाक्षिकम् । सौवर्ण राजतं वाऽपि पैत्तलं कांस्य तथा ॥ २७ ॥ प्रावालं मौक्तिकं चैव वैडूर्यादिसुरत्नजम् । चित्रजं च तथा लेप्यं कचिचन्दनजं मतम् ॥ २८ ।। प्रातिहायोष्टकोपेतं सम्पूर्णावयवं शुभम् ।। भावरूपानुविद्धाङ्गं कारयेद्विम्बमर्हतः ॥ २९ ।।
जो जिनबिंब तैयार कराया जाय वह इन लक्षणोंसे युक्त होना चाहिए. जिनबिंबके कूख आदि स्थानोंमें बालोंके चिन्ह न हों, हजामत वगैरह की रेखा न हो, खड्गासनहो, जिसके दोनों हाथ सीधे लम्बे लटकते हुए हों, श्रीवत्स चिन्हवाला हो, दिगम्बर हो, अथवा खड्गासन न हो तो पल्यकासन (पद्मासन) हो अर्थात् खड्गासन या पद्मासन इन दोनों से कोई सा आकारवाला हो यह नहीं कि खगासन ही हो या पद्मासन ही हो, जिसकी रचना शिल्पशास्त्रके अनुसार हो, गदा तोमर आदि आयुधोंसे रहित हो, स्त्री रहित हो, भ्र-क्षेप आदि दोषोंसे रहित हो, आभरण आदि से रहित हो, जिसका चेहरा और नैत्र प्रफुल्लित हो, वह जिनबिंब चाहे पत्थरका हो, चाहे सोना, चांदी, पीतल, कांसा, प्रवाल, मोती और अच्छे २ वैडूर्यादि रत्नोंका हो । तथा चित्रज-चित्रको लेप्य-मन्दिरकी दिवालपर चित्रामकी बनीहुई और कहीं कहीं चन्दनकी प्रतिमा भी मानी गई