SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 187
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सोमसेनभट्टारकविरचित यह मंत्र पढ़कर जल सींचकर पूजा करनेके जलको पवित्र करे ॥ २१ ॥ ॐ ही नेत्राय संवौषट् ॥ कलशार्चनम् ॥ २२ ॥ ---- यह मंत्र बोलकर कलशोंकी पूजा करे ॥ २२ ॥ ततो यजमानाचार्यः वामहस्तेन कलशं धृत्वा सव्यहस्तेन पुण्यहवाचनां पठन् भूमि सिश्चेत् ॥ पुण्याहं पुण्याहं प्रीयन्तां प्रीयन्तां इत्यादि पुण्याहवाचनां पठित्वा कलशं कुडस्य दक्षिणे भागे निवेशयेत् ॥२३॥ इसके बाद यजमान आचार्य बायें हाथमें कलश लेकर दाहिने हाथसे पुण्याहवाचनाको पढ़ता हुआ भूमिका सिंवन करे और पुण्याहं पुण्याहं प्रीयन्तां प्रीयन्तां इत्यादि पुण्याहवाचनाको पढ़कर कलशको कुण्डके दाहिने भागमें स्थापन करे ॥ २३ ॥ ततः ॐ ही स्वस्तये मङ्गलकुम्भं स्थापयामि स्वाहा ॥ वामे मङ्गलकलशस्थापनं तत्र स्थालीपाकप्रोक्षणपात्रपूजाद्रव्यहोमद्रव्यस्थापनम् ॥ २४ ॥ इसके बाद “ ॐ ह्रीं स्वस्तये" इत्यादि पढ़कर कुंडके बायें भागमें कलश स्थापन करे और वहींपर स्थालीपाक-गन्ध-पुष्प-अक्षत-फल इत्यादिकोंसे सुशोभित पांच पंचपात्री, प्रोक्षणपात्र पूजाद्रव्य और होम द्रव्यको स्थापन करे ॥ २४ ॥ ॐ ही परमेष्ठिभ्यो नमो नमः । इति परमात्मध्यानम् ॥ २५ ॥ इसे पढ़कर परमात्माका चिन्तवन करे ॥ २५ ॥ ॐ ही णमो अरिहंताणं ध्यातृभिरभीप्सितफलदेभ्यः स्वाहा ।। परमपुरुषस्यायप्रदानम् ॥ २६ ॥ यह पढ़कर परमात्माको अर्घ्य दे ॥ २६ ॥ तत इदं यन्त्रं कुण्डमध्ये लिखेत् ॥ ॐ ही नीरजसे नमः । ॐ दर्पमथनाय नमः । इत्यादि ॥ जलदभैंर्गन्धाक्षतादिभि होमकुण्डार्चनम् ॥ २७ ॥ .. इसके बाद कुण्डके बीचमें “ ॐ हीं नीरजसे नमः " " ॐ दर्पनाथाय नमः" इत्यादि जिसे पीछे पूर्ण लिख आये हैं उस मंत्रको लिखे जल-गन्ध-अक्षत-दर्भ आदिसे होम कुंडकी अर्चना करे ॥ २७ ॥
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy