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________________ १४४ सौमसेनभट्टारकविरचित- ३ Aryamanawwwwwwwwwwww ॐ ही श्री क्लीं ऐं अर्ह जगतां सर्वशान्ति कुर्वन्तु श्रीपीठे प्रतिमास्थापनम् करोमि स्वाहा ॥ श्रीपीठे प्रतिमास्थापनम् ॥१०॥ यह मंत्र पढ़कर श्रीपीठपर प्रतिमा स्थापन करै ॥ १०॥ .. ॐ हीं अहँ नमः परमेष्ठिभ्यः स्वाहा ॥ ॐ हीं अहं नमः परमात्मकेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अर्ह नमोऽनादिनिधनेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अहं नमो नसुरासुरपूजितेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ हाँ अहं नमोऽनन्तज्ञानेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अहं नमोऽनन्तदर्शनेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ--हाँ अर्ह नमोऽनन्तवीर्येभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अर्ह नमोऽनन्तसौख्येभ्यः स्वाहा इत्यष्टभिर्मन्त्रैः प्रतिमार्चनम् ॥ ११ ॥ इन आठ मंत्रोंका उच्चारण कर प्रतिमाकी पूजा करना चाहिए ॥ ११ ॥ ॐ ही धर्मचक्रायाप्रतिहततेजसे स्वाहा ॥ चक्रत्रयार्चनम् ॥ १२ ॥ इस मंत्रको पढ़कर तीनों चक्रोंकी पूजा करै ॥ १२ ॥ ॐ न्ही श्वेतच्छत्रनयश्रियै स्वाहा ॥ छत्रत्रयपूजा ॥ १३ ॥ इस मंत्रका उच्चारण कर छत्र त्रयकी पूजा करै ॥ १३ ॥ ॐ ही श्री क्की ऐ* अर्ह ड्सौं गौं सर्वशास्त्रप्रकाशिनि वदवदवाग्वादिनि अवतर अवतर । अन तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। संनिहिता भव भव वषट् । क्यूँ नमः सरस्वत्यै जलं निर्वपामि स्वाहा । एवं गन्धाक्षतपुष्पचरुदीपधूपफलवस्त्राभरणादिकम् । प्रतिमागे सरस्वतीपूजा ॥१४॥ ॐ ही श्री इत्यादि मंत्र पढ़कर सरस्वतीका आव्हान स्थापन और सन्निधिकरण करै “क्यूँ" इत्यादि पढ़कर जल गन्ध अक्षत पुष्प नैवेद्य दीप धूप फल और वस्त्राभरणादिकसे प्रतिमाके सामने सरस्वतीकी पूजा करे ॥ १४ ॥ ॐ-हाँ सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रपवित्रतरगात्रचतुरशीतिलक्षणगुणाष्टादशसहस्रशीलधरगणधरचरणाः आगच्छत आगच्छत संवौषात् ॥ इत्यादि गुरुपादुकापूजा ॥१५॥
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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