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________________ बन्दरकी संगीतकला या पानी पर तैरती शिलाके समान कोई अघटित बात नजर आवे तो भी प्रकट नहीं करना ही उत्तम है। ___पापकर्म जैसे मनुष्यको नरकमें डालते हैं वैसे ही राजाने श्रीदत्तको बन्दीगृहमें डाल दिया और क्रोधकी अधिकतासें उसकी सब संपत्ति जप्त करके उसकी कन्याको अपने यहां दासी बना लिया। सत्य है, भाग्यकी भांति राजा भी किसीका सगा नहीं। बंदीगृहमें पडे हुए श्रीदत्तको जब यह विचार उत्पन्न हुआ कि, जैसे पवनसे अग्नि सुलगती है वैसे ही मैने कोई उत्तर नहीं दिया इससे राजाकी कोपानि धधक उठी है अतएव यदि मैं यथार्थ बात कह दूं तो कदाचित् छुटकारा हो जावेगा । तब उसने पहरेवालेके द्वारा राजाको प्रार्थना की। जब राजाने उसे बंदीगृहसे निकालकर पुनः पूछा तो उसने कहा कि "एक बन्दर सुवर्णरेखाको ले गया है" यह सुनकर सबको हंसी आ गई, वे आश्चर्य पाकर कहने लगे कि, "अहा ! कैसी सत्य बात कही ? यह दुष्ट कितना ढीठ है ?" राजाका क्रोध और भी बढ गया उसने एकदम श्रीदत्तको प्राणदंडकी आज्ञा दी । यह बात योग्य ही है कि बडे मनुष्योंका रोष अथवा तोष शीघ्र ही भला या बुरा फल देता है । राजाकी आज्ञानुसार उसके वीर सुभट तुरन्त ही श्रीदत्तको वध्यस्थल पर
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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