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विषयांक. विषय का नाम. ६८ तीनप्रकारी, पांचप्रकारी, अष्टप्रकारी, सर्वप्रकारी,
सत्रहप्रकारी व इकवीसप्रकारी पूजाका स्वरूप और विधि
२३८ ६९ पूजामें कैसे पुष्प काममें लेने चाहिये ? उसका
स्वरूप ७० पूजाप्रकरणसे इक्कीसप्रकारी पूजा ७१ स्नान करनेकी विधि ७२ प्रतिमाके स्वयंकारितादि भेद ७३ चैत्यमेंसे मकडीके जाले आदि आशातना टालने___की विधि ७४ पूजाका अवश्यकर्त्तव्यत्व _ ७५ पूजामें धारण करने योग्य दशत्रिकआदिका स्वरूप २५५ ७६ विधि-अविधिपर चित्रकारपुत्र और दो ब्राह्मणों की कथा २५८ ७७ तीनप्रकारकी जिनपूजाका फल
२६२ ७८ भक्तिके पुष्पपूजादि पांच भेद ७९ दूसरेकी जिनपूजाका द्वेष करनेपर कुंतलारानीकी कथा २६४ ८० आज्ञापालनरूप भावस्तवका स्वरूप .
२६६ ८१ द्रव्यस्तवकी अपेक्षा भावस्तवकी उत्कृष्टता २६७ ८२ द्रव्यस्तवके ऊपर कुएका दृष्टांत
२६८ ८३ जिनमंदिरको जानेका विचारआदिमें होनेवाला फल २६९
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