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________________ (७१०) जिसके पास भाता ( नास्तेके लिये अन्न आदि ) न हो तो उसे भाता तथा जिसको वाहन न हो उसे वाहन देना । निराधारमनुष्योंको द्रव्य तथा मृदु वचनका आधार देना। " उचित महायता दूंगा"। ऐसी उद्घोषणा कर उत्साहहीन यात्रियोंको भी सार्थवाहकी भांति हिम्मत देना। आडंबरसे बडे और भीतरी भागमें बहुत समावेशवाली कोठियां. शरावले, कनाते, तंबू, बडी कढाइयां तथा दूसरेभी पानीके बडे २ बरतन कराना, गाडे, परदेवाले रथ, पालखी, बैल, ऊंट, घोडे आदि वाहन सजाना । श्रीसंघकी रक्षाके हेतु बहुतसे शूरवीर व सुभटोंको साथमें लेना; और कवच, शिरस्त्राण आदि उपकरण देकर उनका सत्कार करना। गीत, नृत्य, वाजिंत्रआदि सामग्री तैयार कराना । पश्चात् शुभ शकुन, मुहूतेआदि देखकर उत्साह पूर्वक गमन करना। मार्गमे यात्रियोंके सर्व समुदायको एकत्रित करना । श्रेष्ठ पक्वान्न जिमाकर उनको तांबूलादि देना। उनको वस्त्र आभूषणआदि पहिराना । श्रेष्ठ, प्रतिष्ठित, धर्मिष्ठ,पूज्य और महान्भाग्यशाली पुरुषोंसे संघवीपनका तिलक कराना । संघपूजादि महोत्सव करना । योग्यतानुसार दूसरों के पाससेभी संघवीपनआदिके तिलक करनेका उत्सव कराना। संघकी जोखिम सिरपर लेनेवाले, आगे चलनेवाले, पीछे रहकर रक्षण करनेवाले तथा प्रमु. खतासे संघका काम करनेवालेआदि लोगोंकों योग्य स्थानपर
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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