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जिसके पास भाता ( नास्तेके लिये अन्न आदि ) न हो तो उसे भाता तथा जिसको वाहन न हो उसे वाहन देना । निराधारमनुष्योंको द्रव्य तथा मृदु वचनका आधार देना। " उचित महायता दूंगा"। ऐसी उद्घोषणा कर उत्साहहीन यात्रियोंको भी सार्थवाहकी भांति हिम्मत देना। आडंबरसे बडे और भीतरी भागमें बहुत समावेशवाली कोठियां. शरावले, कनाते, तंबू, बडी कढाइयां तथा दूसरेभी पानीके बडे २ बरतन कराना, गाडे, परदेवाले रथ, पालखी, बैल, ऊंट, घोडे आदि वाहन सजाना । श्रीसंघकी रक्षाके हेतु बहुतसे शूरवीर व सुभटोंको साथमें लेना; और कवच, शिरस्त्राण आदि उपकरण देकर उनका सत्कार करना। गीत, नृत्य, वाजिंत्रआदि सामग्री तैयार कराना । पश्चात् शुभ शकुन, मुहूतेआदि देखकर उत्साह पूर्वक गमन करना।
मार्गमे यात्रियोंके सर्व समुदायको एकत्रित करना । श्रेष्ठ पक्वान्न जिमाकर उनको तांबूलादि देना। उनको वस्त्र आभूषणआदि पहिराना । श्रेष्ठ, प्रतिष्ठित, धर्मिष्ठ,पूज्य और महान्भाग्यशाली पुरुषोंसे संघवीपनका तिलक कराना । संघपूजादि महोत्सव करना । योग्यतानुसार दूसरों के पाससेभी संघवीपनआदिके तिलक करनेका उत्सव कराना। संघकी जोखिम सिरपर लेनेवाले, आगे चलनेवाले, पीछे रहकर रक्षण करनेवाले तथा प्रमु. खतासे संघका काम करनेवालेआदि लोगोंकों योग्य स्थानपर