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________________ (६८१) यह कह कर देवता चला गया. पश्चात् उसने उन दोनों राजाओंको एक ही समय स्वप्नमें पूर्वभव बताया. जिससे उनको भी जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हुआ. और वे भी श्रावकधर्मकी व विशेष कर परदिवसोंकी सम्यक्रीतिसे आराधना करने लगे. पश्चात उन तीनों राजाओंने देवताके कहनेसे अपने अपने देशमें अमारिकी प्रवृत्ति, सातों व्यसनोंकी निवृत्ति, जगह २ नये नये जिनमंदिर, पूजा, यात्रा, साधर्मिकवात्सल्य, पर्वके पहिले दिन पटहकी उद्घोषणा तथा सर्वपों में सब लोगोंको धर्मकृत्यमें लगाना आदि इस रीतिसे धर्मोन्नति करी कि, जिससे एकछत्र साम्राज्यके समान जैनधर्म प्रवृत्त होगया और उसके प्रभावसे तथा श्रेष्ठीके जीव देवताकी सहायतासे उन तीनों राजाओंके देशोंमें तीर्थकरकी बिहारभूमिकी भांति अतिवृष्टि, अनावृष्टि, दुर्भिक्ष, स्वचक्र-परचक्र, व्याधि, महामारी तथा दारिद्य आदिके उपद्रव स्वप्नमें भी नहीं रहे. ऐसी दुःसाध्य वस्तु कौनसी है कि जो धर्मके प्रभावसे सुसाध्य न होसके ? इसप्रकार सुखमय और धर्ममय राज्यलक्ष्मीको चिरकाल भोग कर उन तीनों राजाओंने साथमें दीक्षा लेकर महान तपस्यासे शीघ्र ही केवलज्ञान उपार्जन किया. श्रेष्ठीका जीव देवता,उनकी महिमा स्थान २ में बहुतही बढाने लगा. पश्चात् प्रायः अपना ही दृष्टान्त कह, उपदेश करके पृथ्वीमें सर्व पर्वरूप सम्यक्धर्मका अतिशय विस्तार किया और बहुतसे भव्यजीवोंका
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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