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करना, और पौषधके सर्व उपकरण ले पौषधशालाको अथवा साधुके पास जाना. पश्चात् अंगका पडिलेहण करके बडीनीति तथा लघुनीतिकी भूमि पडिलेहण करना. तत्पश्चात् गुरुके पास अथवा नवकार गिन करके स्थापनाचार्यकी स्थापना करके इरियावही प्रतिक्रमण करे. पश्चात् एक खमासमणसे वन्दना करके पौषधमुंहपत्तिका पडिलेहण करे. पुनः एक खमासमण दे खडा रहके कहे कि-"इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! पोसहं संदेसावेमि" पुनः एक बार खमासमण देकर कहे कि--"पोसहं ठावमि" ऐसा कह नवकारकी गणनाकर पौषधका उच्चारण करे यथाः-- ___ करेमि भंते ! पोसहं आहारपोसह सम्वओ देसओ वा, सरीर. सक्कारपोसहं सव्वओ, बंभचेरपोसह सव्वओ, अव्वावारपोसह सव्वओ, चउविहे पोसहे ठामि, जाव अहोरत्तं पज्जुवासामि, दुविहंतिविहेणं मणेणं वायाए कारणं न करोमि न कारवेमि, तस्स भंते! पडि. कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसि ।मि।
पश्चात् मुंहपत्ति पडिलेहणकर दो खमासमण देकर सामायिक करे । पुनः दो खमासमण देकर जो चौमासा होवे तो काष्ठासनका और शेष आठ मास होवे तो आसनका 'वेसणे संदिसावेमि और ठाएमि" यह कह आदेश मांगना। तत्पश्चात् दो खमासमण देकर सज्झाय करे । पश्चात् प्रतिक्रमण कर दो खमासमण दे " बहुवेलं संदिसावेमि" यह कहे । तत्पश्चात् एक खमास