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________________ (३१) ही संपूर्ण वृत्तांत तोतेका कह सुनाया। उसे सुनकर सर्व सेवकगण चकित व हर्षित हुए और बोले कि, “ हे महाराज ! थोडे ही समयमें आपका व तोतेका कहीं भी पुनः समागम होगा"। क्यों कि जो पुरुष किसीका हित करनेकी इच्छा करता है वह उसकी अपेक्षा रखे बिना भी नहीं रहता । जिसभांति सूखा हुआ पत्ता शीघ्र टूट जाता है, वैसे ही आपके मनका सब संशय भी ज्ञानी मुनिराजको पूछनेसे शीघ्र नष्ट होने योग्य है । कारण कि ऐसी कौनसी बात है जो ज्ञानी पुरुष नहीं जान सकते ? इस लिये हे महाराज! आप सब चिंता छोडकर नगरमें पधारिये, ताकि मेघके दर्शनसे जैसे मोरको हर्ष होता है वैसे आपके दर्शनसे नगरवासी लोगोंको आनंद हो ।” सेवकोंकी यह बात राजाको पसंद आई। ठीक है, अवसरके अनुसार किया हुआ कार्य और कहा हुआ वचन किसको सम्मत नहीं होता? । तत्पश्चात् मृगध्वज राजा परिवार सहित मंगल वाजोंकी मधुरध्वनिसे दिशाओंको गुंजाता हुआ अपने नगरकी ओर चला । अपने बिलसे दूर खडा हुआ चूहा तक्षक सर्पको सामने आता देख कर जिस प्रकार भाग जाता है, उसी प्रकार परिवार सहित धूम धडाकेसे आते हुए राजा मृगध्वजको देख कर चंद्रशेखर राजा भाग गया । और चालाक बुद्धि होनेके कारण उसने उसी. समय अपने एक चतुर दूतके साथ मृगध्वज राजाको भेंट भेजी,
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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