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________________ (४२३) नामक सोनी रहता था. एकसमय शस्त्रधारी यवनोंने श्रीमल्लिनाथजीके मंदिर में भीमको पकड कर कैद करलिया, तब भीमके पुत्रों ने उसे छुडानेके निमित्त चार हजार खोटे टंक उनलोगोंको भेट किये. यवनोंने उन टंकोंकी परीक्षा करवाइ तब भीमने यथार्थ बात कह दी. जिससे प्रसन्न हो उन्होंने भीमको छोड दिया, और उसके पुत्रोंको उसी समय मार डाले. उनको अग्निदाह देनेके अनंतर यवनोंने भोजन किया वचन देनेसे उनकी मृत्युके दिन अभी भी उनके निमित्त वहां श्रीमल्लिनाथजीकी पूजाआदि होती है। विवेकीपुरुषने संकट समय पर सहायता मिले इस हेतुसे एक ऐसा मित्र करना कि, जो धर्मसे धनसे, प्रतिष्ठासे तथा ऐसे ही अन्यसद्गुणोंसे अपनी बरोबरीका, बुद्धिशाली तथा निर्लोभी होवे. रघुकाव्य में कहा है कि-राजाके मित्र बिलकुल शक्तिहीन होवे तो प्रसंग आनेपर कुछभी उपकार न करसकें तथा उससे अधिक शक्तिशाली होवें तो वे स्पर्धासे बैरआदि करें. इसलिये राजाके मित्र मध्यमशक्ति वाले चाहिये. अन्य एकस्थानमें भी कहा है कि--आगन्तुक आपत्तिको दूर करनेवाला मित्र, मनुष्यको ऐसी अवस्था में सहायता करता है कि, जिस अवस्थामें मनुष्यका सहोदर भाई, स्वयं पिता तथा अन्य स्वजनभी उसके पास खडे न रह सकते हैं। हे लक्ष्मण ! अपनेसे विशेषसमर्थके साथ प्रीति करना मुझे नहीं रुचता.
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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