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________________ ( ३८२) रखना, ५३ मनकी एकाग्रता न करना, ५४ शरीरमें तेल आदि लगाना, ५५ सचित्त पुष्पादिकका त्याग न करना, ५६ अजीव हार, अंगूठी आदि अचित्त वस्तु बाहर उतारकर शोभाहीन हो मंदिरमें घुसना ( ऐमा करनेसे अन्यदर्शनी लोग " शोभाहीन हो मंदिरमें प्रवेश करना यह कैसा भिक्षुक लोगोंका धर्म है," ऐसी निन्दा करते हैं । इस लिये हार, मुद्रिकादि न उतार कर अंदर जाना । ), ५७ भगवान्को देखने पर हाथ न जोडना, ५८ एकसाडी उत्तरासंग न करना, ५९ मस्तक पर मुकुट धारण करना, ६० सिर पर मुकुट अथवा पगडी पर फेंटा आदि रखना, ६१ सिरमें रखे हुए फूलके तुरे, कलंगी आदि न उतारना, ६२ नारियल आदि वस्तुकी शर्त करना, ६३ गेंद खेलना, ६४ मा, बाप आदि स्वजनोंको जुहार करना, ६५ गाल, बगल ( कांख ) बजाना आदि भांडचेष्टा करना, ६६ रेकार, तूकार आदि तिरस्कारके वचन बोलना, ६७ लेना उघानेके लिये धरना देकर बैठना, ६८ किसीके साथ संग्राम करना, ६९ बाल छूटे करना. ७० पालखी वाल कर बैठना, ७१ लकडीकी पादुकाएं पगमें पहिरना, ७२ स्वेच्छासे पग लंबे करके बैठना, ७३ सुखके लिये सीटी बजाना, ७४ अपना शरीर अथवा शरीरके अवयव धोना आदिसे कीचड करना, ७५ पगमें लगी हुई धूल जिनमंदिरमें झाडना, ७६ स्त्री संभोग करना, ७७ माथेकी अथवा वस्त्र आदिकी जूएं दिखवाना तथा वहां डालना,
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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