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________________ (२१०) सर्व दिव्य कन्या और कुमार साथ २ गायन और नृत्य करते हैं, इस प्रसंगमें बत्तीसबद्धनाटकके नाम इस प्रकार हैं:स्वस्तिक, श्रीवत्स, नंद्यावर्त, वर्धमानक, भद्रासन, कलश, मत्स्ययुग्म, दर्पण, इन आठ मंगलिकोंकी विचित्र रचना यह मंगलभक्तिचित्र नामक प्रथमभेद [१] आवर्त, (दक्षिणावर्त ) प्रत्यावर्त (वामावर्त), श्रेणी (समपंक्ति) प्रश्रेणी ( उलटी पंक्ति), स्वस्तिक, सौवस्तिक, पुष्पमान (लक्षणविशेष ) वर्धमान, मत्स्यांडक (मत्स्यके अंडे) मकरांडक (मगरके अंडे ), जारमार ( मणिविशेष ) पुष्पावली, पद्मपत्र, सागरतरंग, वासंतीलता, और पद्मलता, इनकी विचित्र रचना-रूप दूसरा भेद [२] इहामृग (वरुभीड़या), ऋषभ (बैल) अश्व, मनुष्य, मगर, पक्षी, सर्प, किन्नर, रुरु ( हरिणभेद ), शरभ-अष्टापद, चमर (सुरागाय ) हस्ती, वनलता, पद्मलता इनकी विचित्र रचनारूप तीसरा भेद [३] एकतावक्र ( एक तरफ टेढा) एकतःखड्ग ( एक तरफ धारवाला ), एकतः चक्रवाल ( एक तरफ चक्राकार ) द्विधा चक्रवाल (दोनों तरफ चक्राकार) चक्रार्द्धचक्रवाल ऐसी रचना रूप चौथा भेद [४] चन्द्रावलि (चंद्रकी पंक्ति) सूर्यावलि ( सूर्यकी पंक्ति ), वलयावली, तारावली, हंसावलि, एकावलि, मुक्तावलि, कनकावलि, रत्नावलि, यह आवलिप्रविभक्ति (पक्तिरचना ) नामक पांचवां भेद [५] चंद्रोदयप्रविभक्ति (चंद्रोदयकी रचना ) सूर्योदयप्रविभक्ति (सूर्योदयकी रचना ) यह
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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