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________________ ( २०६ ) प्रतिज्ञा पूर्ण न हुई ऐसे दशार्णभद्र राजाने दीक्षा ग्रहण की । इस विषय में पूर्वाचार्योंकी की हुई हाथी के मुख आदि वस्तुकी गिन्ती बतानेवाली गाथाएं हैं । उनका अर्थ यह है:---- एक हाथीको पांचसौ बारह मुख, चार हजार छियानवे दांत, बत्तीस हजार सातसौ अडसठ बावडियां, दो लाख बासठ हजार एकसौ चुम्मालीश कमल, कर्णिका प्रासादके अंदर आये हुए नाटककी संख्या कमल ही के समान, छब्बीस सौ करोड इकवीस करोड और चोवालीस लाख इतनी एक हाथी के कमल दलकी संख्या शक्रेन्द्रकी जानो । अब चौसठ हजार हाथी के सबके मुख, दांत प्रमुख वस्तु संख्या इकट्ठी कहना चाहिये । सर्व हाथियों के मुख तीन करोड सत्तावीस लाख, अडसठ हजार । सबके दांतों की संख्या छब्बीस करोड, इक्कीस लाख, चौवालीस हजार । सर्व बावडियों की संख्या दो सौ करोड, नौ करोड, एकहत्तर लाख, बावन हजार । सर्व कमलोंकी संख्या एक हजार करोड, छः सौ करोड, सतहत्तर करोड, बहत्तर लाख, सोलह हजार । सर्व पखडियों की तथा नाटककी संख्या सोलह कोडाकोडी, सतहत्तर लाख करोड, बहत्तर हजार करोड, एक सौ साठ करोड । सर्व नाटकके रूपकी संख्या पांचसौ कौडाकोडी, छत्तीस कोडाकोडी, सत्यासी लाख करोड, नव हजार करोड, एक सौ करोड और बीस करोड | यह सर्व संख्याएं आवश्यकचूर्णिमें
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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