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________________ (१९८) जो अपवित्र पुरुष संसारमें पडनेका भय न रखते देवपूजा करते हैं, और जो पुरुष भूमि पर पड़े हुए फूलसे पूजा करते हैं, वे दोनों चांडाल होते हैं, यथाःअपवित्रता से पूजनमें दोष दिखानेवाला चांडाल दृष्टांत. कामरूप नगरमें एक चांडालको पुत्र हुआ। जन्मसे ही उसके पूर्वभव के बैरी किसी व्यंतरदेवताने उसे हरण कर जंगलमें डाल दिया। इतनेमें कामरूपनगरका राजा जो कि शिकार खेलने गया था उसने वनमें उस बालकको देखा । राजा पुत्रहीन था इससे उसने उसे ले लिया, पालन किया तथा उसका पुण्यसार नाम रखा । जब पुण्यसार तरुणावस्थाको प्राप्त हुआ तब राजाने उसको राज्याभिषेक कर स्वयं दीक्षा ले ली । कुछ कालके अनन्तर उक्त कामरूपके राजा केवली होकर वहां आये। पुण्यसार उनको वंदना करने गया । सर्व नगरवासी मनुष्य भी वन्दना करने आये तथा पुण्यसारकी माता वह चांडालिनी भी वहां आई । पुण्यसार राजाको देख उस चांडालिनीके स्तनमें से दूध झरने लगा। तब राजा (पुण्यसार ) ने केवली भगवानसे इसका कारण पूछा । केवलीने कहा-- " हे राजन् ! यह तेरी माता है, तू वनमें पड़ा हुआ मेरे हाथ लगा." पुण्यसारने पुनः प्रश्न किया. " हे भगवान् ! मैं किस कर्मवश चांडाल हुआ ?' केवलीने उत्तर दिया- " पूर्वभवमें तू व्यवहारी था । एक समय भगवानकी पूजा करते " भूमिपर पड़ा हुआ फूल नहीं चढाना
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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