SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८२ / योग- प्रयोग- अयोग सिद्ध भगवान अनन्त चतुष्ट्य के स्वामी. आठ कर्मों के नाशक समयः सादि अनन्तकाल तीन योगों में मुक्त बीतराग सर्वज्ञ भगवान समयः पाँच तत्वाक्षर योगमुक्त वीतराग सर्वज्ञ भगवान • सर्व कषाय मुक्त धातिकर्मनाशक समय: एक अन्तर्मुहूर्त से देशोनपूर्व क्रोड वर्ष क्षीणकषाय छद्मस्थ वीतराग शुभस्थान • मोहनीय का पूर्णदाय प्रतिभज्ञान समय: जघ उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त उपशान्त छद्मस्थ वीतराग गुणस्थान समयः १ समय से अन्तर्मुहूर्त वादर कषाय पतन अध्यनम सूक्ष्म लोभ का वेदन भेदन समय: १ समय से अन्तर्मुहूर्त अप्रमत्तभाव में सर्व विरतित्व समय: १ अन्तर्मुहूर्त मोहक्षय को उप करने वाला क्षेपक या उपशामक समय: एक अन्तर्मुहूर्त मोहकर्म क्षय (१) अपूर्व स्थितिघात, (२) रसेघात, (३) गुण श्रेणी, (४) गुणसंक्रम. (५) अपूर्व स्थितिवन्ध (६) नियुक्ति = १ समय में चडे हुए जीवों के अध्ययन की भिन्नता समय २ अन्तः प्रमत्त भाव में सर्व विरतित्व समयः २ अन्त से देशानुपूर्व क्रोडवर्ष सम्यक्त्य सहित १२ व्रत में से एक भी व्रत स्वीकारा हो. · सुदेवादि की श्रद्धा संसार की अरुचि जिन भक्ति • वीतराग वाणी में अतिशय राग साधर्मिक रोपम • धर्म रागी समय : १ अन्तर्मुहूर्त ६६ सागवात्सल्य xec न जिनधर्म का राग और न संसार का द्वेष समयः अन्तर्मुहूर्त आकृति नं. १० मोक्ष • उपशम सम्युक्त्व का वमन करते समय • समयः १ समय से ६ आवलिका भार्गा नुसारी भाव चौदह गुणस्थान मिथ्यात्व गुण स्थान गुण प्राप्ति • चर्मावर्त काल में प्रवेश ● लक्षण • अपुनर्बन्धक • न्याय मार्गाभिमुख 'स्वरूप पर्गपतीत • भवाभिनंदि• आदि धार्मिक अवस्था 1655 के. (२) औचित्य सेवन (३) अर्थ में नीति गु • द्विवैधक • व्यवहार • अतिगाढ समृद्ध बंधक राशि में चरमसीमा प्रवेश स्था · मिध्यात्व' सूक्ष्मनिगोद ● आठ रूचक का ● लक्षण (१) तीव्र भाव से अंधकार प्रदेश पाप नहीं करेगा • महा • अव्यवहार भयानक राशि • मिध्यात्व
SR No.023147
Book TitleYog Prayog Ayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktiprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1993
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy