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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन मानता है, यह उस ज्ञान की रूचि से संबंधित है, जिसको मानव मूल्यवान समझता है। संस्कृति उन सिद्धान्तों का निरूपण करती है, जिनको समूह ने सत्य मान लिया है।''32
___ संस्कृति सिर्फ सकारात्मक भावों का ही नाम नहीं है बल्कि यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के भावों का योग है। डॉ. मंगलदेव शास्त्री के अनुसार
___ "किसी देश या समाज के लिए विभिन्न जीवन-व्यापारों अथवा सामाजिक संबंधों में मानवता की दृष्टि से प्रेरणा प्रदान करने वाले उन आदर्शों की समष्टि ही संस्कृति है।'33
डॉ. शास्त्री ने संस्कृति को आदर्श के पर्याय के रूप में प्रस्तुत किया है, जो सही नहीं है, क्योंकि व्यवहार के धरातल पर उतरे बिना 'आदर्श' संस्कृति नहीं कहे जा सकते हैं।
प्रो. ए.के. चक्रवर्ती के अनुसार"Culture of a people means the way of life of that people."34
यह परिभाषा अत्यन्त संकुचित परिभाषा है। इस परिभाषा में समाज को संस्कृति से पूरी तरह अलग रखा है। आचार्य विद्यानन्दजी के अनुसार
__ "संस्कृति आत्मिक सौन्दर्य की जननी है। इसी के अनुशासन में सुसंस्कार सम्पन्न मानव जाति का निर्माण होता है। सम्पन्नता और संस्कृति में बहिरंग और अंतरंग का अंतर है। निष्कर्ष यह है कि लोक मांगलिक भावना की छाया में जो विचार और आचार निष्पन्न होते हैं, संस्कृति उन्हीं की समष्टि है।''35
आचार्य विद्यानन्दजी की यह परिभाषा संस्कृति को अध्यात्म अनुप्राणित सिद्ध करती है। परिभाषा सटीक और सुन्दर होते हुए भी संपूर्ण नहीं कही जा सकती, क्योंकि भौतिकता के दामन को छोड़ा नहीं जा सकता है। आचार्य तुलसी के अनुसार
“आचार और विचार की रेखाएँ बनती हैं और मिटती हैं। जो बनता है, वह निश्चित मिटता है परन्तु मिटकर भी जो अमिट रहता है, अपना संस्थान छोड़ जाता है- वह है संस्कृति।''36
आचार्य तुलसी ने संस्कृति के सैद्धान्तिक पक्ष के साथ-साथ व्यावहारिक
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