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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन अट्ठावयं धारिणी देवी ने अपने दोहदपूर्ण न होने पर चौपड़ खेलने का परित्याग कर दिया। इससे स्पष्ट है कि चौपड़ खेलने की कला राजपरिवारों में विकसित थी । पोरेकच्चं ज्ञाताधर्मकथांग में नगर रक्षा उल्लेख विभिन्न रूपों में मिलता है। धन्यसार्थवाह के पुत्र देवदत्त का अपहरण होने पर उसने अपने पुत्र को खोज निकालने के लिए नगररक्षकों से फरियाद की। 1 दगमट्टियं दगमट्टियं का अर्थ है पानी और मिट्टी के संयोग से किसी वस्तु का निर्माण करना । ज्ञाताधर्मकथांग में इस कार्य के लिए कुम्भकार श्रेणी का उल्लेख मिलता है।2 श्रेणिक राजा ने मेघकुमार के जन्मोत्सव पर कुंभकार आदि अट्ठारह प्रकार की श्रेणियों को बुलाया। सुबुद्धि अमात्य ने कुम्हार की दुकान से नए घड़े लिए 164 अन्नविहिं अन्नविहिं का अर्थ है धान्य निपजाना । मेघकुमार के जन्मोत्सव के अवसर पर श्रेणिकराजा ने किसानों आदि को बेगार से मुक्त कर दिया ।" धन्यसार्थवाह की पुत्रवधू रोहिणी ने अपने कुलगृह के पुरुषों को धान्य निपजाने की क्रियाविधि बतलाई 16 पाणविहिं पाणविहिं का अर्थ है नया पानी उत्पन्न करना, पानी को संस्कार करके शुद्ध करना एवं उष्ण करना । सुबुद्धि अमात्य ने पानी को वैज्ञानिक विधि से शुद्ध करके अपने राजा जितशत्रु को पिलाया 17 उष्ण जल से कपड़े प्रक्षालित करने का उल्लेख भी मिलता है वत्थविहिं वत्थविहिं का अर्थ है नए वस्त्र बनाना, रंगना, सीना और पहनना । ज्ञाताधर्मकथांग में विभिन्न स्थानों पर वस्त्र निर्माण, रंगना और पहनने का उल्लेख मिलता है। 248
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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