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ज्ञाताधर्मकथांग में सामाजिक जीवन विद्या द्वारा द्रौपदी को नींद में सुलाकर उसे अपहृत कर अमरकंका ले गया।380 II. उत्सव/महोत्सव - उत्सवों से जीवन की एकरसता विनष्ट होती है और
आंतरिक आनन्दानुभूति से नवोल्लास का संचार होने से जीवन में नवीनता आती है। ज्ञाताधर्मकथांग में जन्मोत्सव, विवाहोत्सव व पंचकल्याणक महोत्सव आदि एकाधिक महोत्सवों का उल्लेख हुआ है, जिनका निदर्शन दो भागों- (i) धार्मिक उत्सव और (ii) सामाजिक उत्सव में बांटकर
करना अधिक युक्तिसंगत होगा। (i) धार्मिक उत्सव
ज्ञाताधर्मकथांग में अग्रांकित धार्मिक उत्सवों का उल्लेख मिलता हैगर्भकल्याणक महोत्सव
ज्ञाताधर्मकथांग में गर्भ महोत्सव का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन सभी तीर्थंकरों के पंचकल्याणक महोत्सव एक समान होने के कारण तीर्थंकर मल्ली का गर्भकल्याणक जैन पुराणों में वर्णित ऋषभदेव के गर्भकल्याणक के समान माना जा सकता है।
पद्मपुराण में कहा गया है कि भगवान ऋषभ के गर्भावस्था में आने पर माता मरुदेवी की सेवा में देवकन्याएँ तत्पर रहती थी। वे उनसे आज्ञा प्राप्त करना, गुणगान करना, गीत गाना, पाँव दबाना, ताम्बूल देना, चंवर डुलाना, वस्त्राभूषण देना, शय्या बिछाना व लेप करना आदि कार्य इन्द्र के आदेश से सम्पन्न करती थी।381 जन्मकल्याणक महोत्सव
देवों ने मल्ली का जन्माभिषेक करने नन्दीश्वर द्वीप में जाकर (अट्ठाई) महोत्सव किया।382 दीक्षाकल्याणक महोत्सव
ज्ञाताधर्मकथांग में भवनपति, व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों द्वारा मल्ली का दीक्षा महोत्सव करने का उल्लेख मिलता है।383 केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव
भगवान मल्ली को जब केवलज्ञान और केवलदर्शन उत्पन्न हुआ उस समय सब देवों के आसन चलायमान हुए। वे सब देव वहाँ पर आए, सबने धर्मोपदेश श्रवण किया और अपने-अपने स्थानों पर लौट गए।384
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