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________________ 19. वही, 7.2 20. स्थानांग, मुनि मधुकर, 5.1.2, पृ. 448 21. उवासगदसाओ, सम्पा. मुनि मधुकर, 1.13 व्या. सू., 7.1.7-8 'तयाणंतरं च णं थुलगं मुसावायं पच्चक्खाइ-उवासगदसाओ, मुनि मधुकर, 1.14 रत्नकरण्डकश्रावकाचार, सम्पा. पं. जुगलकिशोर, 3.9, पृ. 43 श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, दूसरा अणुव्रत उवासगदसाओ, सम्पा. मुनि मधुकर, 1.15 रत्नकरण्डकश्रावकाचार, सम्पा. पण्डित जुगलकिशोर, 3.11, पृ. 44 उवासगदसाओ, मुनि मधुकर, 1.16 चारित्रपाहुड, गा. 24 30. आवश्यकसूत्र, पृ. 324 31. उत्तराध्ययन, 8.17 32. 'तयाणंतरं च णं इच्छाविह परिणामं करेमाणे'- उवासगदशाओ, मुनि मधुकर, 1.17 'ममेदंबुद्धिलक्षणः परिग्रहः'- सर्वार्थसिद्धि, 6.15.638, पृ. 256 रत्नकरण्डकश्रावकाचार, सम्पा. पण्डित जुगलकिशोर, 3.15, पृ. 46 वही,3.22 'छठा दिशिव्रत उड्ढदिशि का यथा परिणाम, अहोदिशि का यथा परिणाम.. आवश्यकसूत्र, 6, मुनि मधुकर, पृ. 114 उवासगदसाओ, मुनि मधुकर, 1.22-42 श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, अणुव्रत-7 39. उवासगदसाओ, सम्पा. मुनि मधुकर, 1.43 40. ___ व्या. सू., 2.5.11 पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 136 पृ. 336 व्या. सू., 1.9.21 (क) रत्नकरण्डकश्रावकाचार, 4.7, पृ. 73 (ख) तत्त्वार्थभाष्य, 7.16 श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र, अणुव्रत, 10 वही, अणुव्रत, 11 46. 'पोसहोववासे चउव्विहे पण्णत्ते................-आवश्यकवृत्ति, 50 व्या. सू., 12.1.10, 19 48. भगवतीसूत्र (विवेचन), पं. घेवरचन्दजी, (भाग-4), पृ. 1975 व्या. सू., 12.1.12 50. 'संखे णं समणोवासए पियधम्मे चेव, दढधम्मे चेव, सुदक्खुजागरियं जागरिते', वही, 12.1.24 51. व्या. सू., 2.5.11 36. 42. 49. श्रावकाचार 275
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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