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________________ आगमकालीन धार्मिक एवं दार्शनिक विचार • 65 1. क्रियावाद यह दर्शन जीव, अजीव, आश्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, पुण्य और पाप इस प्रकार नौ तत्व मानता है। इसके अनुसार यह नौ पदार्थ स्वतः और परतः के भेद से दो प्रकार के हैं। पुन: सभी पदार्थ नित्य और अनित्य होते हैं-9x2 = 18x2 = 36। यह 36 पदार्थ काल, स्वभाव, नियति, ईश्वर और आत्मा के भेद से पांच प्रकार के हैं-36x5 = 180। इस प्रकार क्रियावाद के कुल 180 भेद हुए। 2. अक्रियावाद इस दर्शन के अनुसार पुण्य और पाप का स्थान जीवन में कुछ भी नहीं हैं। अत: इनके मत से कुल सात पदार्थ हुए। इनके दो भेद हैं स्वत: और परत:। पुन: इसके काल, यदृच्छा, नियति, स्वभाव, ईश्वर और आत्मा ये 6 भेद हैं। इस प्रकार अक्रियावाद के कुल 7x2 x 6 = 84 भेद हुए। कालयदृच्छानियति स्वभाव वेश्वरात्मनश्वतुरशीतिः। नास्तिक्लादिगणमते न सन्ति भावा स्वपरसंस्था।।153 3. अज्ञानवाद इस दर्शन में पूर्वोल्लिखित नौ पदार्थ स्वीकृत हैं। ये सभी पदार्थ सत्, असत् सदसत्, अवक्तव्य, सदवक्तव्य, असदवक्तव्य, सदा-सदवक्तव्य के भेद से सात प्रकार के हैं। इनके अतिरिक्त 1 सती भावोत्पत्ति: को वेत्ति। किं वा न्या ज्ञातया। 2 असतो भावोत्पत्ति: को वेत्ति। किं वा न्या ज्ञातया। 3 सदसती भावोत्पत्ति: को वेत्ति। किं वा नया ज्ञातया। 4 अवक्तव्या भावोत्पत्तिः को वेत्तिः। किं वा न्या ज्ञातया। यह चार भेद भी हैं। इस प्रकार (9x7)+4=67 भेद अज्ञानवाद के हैं। अज्ञानकवादिमतं नव जीवादीन् सदादिसप्तविधान्। भावोत्पत्ति: सदसद्धैवा वाच्या च कोवेत्ति।।154 4. विनयवाद इस दर्शन में विनय से ही मुक्ति प्रदर्शित की गयी है। यह विनय सुर, नृपति, यति, ज्ञाति, स्थविर, अधम, माता और पिता के प्रति मन, वचन, काय और दान
SR No.023137
Book TitleJain Agam Itihas Evam Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Chaturvedi
PublisherAnamika Publishers and Distributors P L
Publication Year2000
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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