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308 • जैन आगम : इतिहास एवं संस्कृति
198. राजा श्रेणिक के पास अट्ठारह लड़ीवाला सुन्दर हार था।-आवश्यकचूर्णि-2, पृ० 170:
आचारांग आत्माराम जी, ii 2/170, कन्या के विवाह अवसर के अलंकरण। 199. वही, निशीथ सूत्र, 7/71 200. कल्पसूत्र एस० बी०ई० जि० 22,4/62 पृ० 243 औपपातिक सूत्र 31। 201. आयारो, पृ० 831 202. ज्ञातृधर्म कथा, 1, पृ० 301 203. राजप्रश्नीय सूत्र, 1371 204. कल्पसूत्र, एस०बी०ई० जि० 22,3/36 पृ० 233।
उत्तराध्ययन, चन्दना, 6/5 : 9/60, पृ० 831 205. उत्तराध्ययन, 9/601 206. वही। 207. वही, 20/101 208. वही, 20/201 209. वही, 34/91 210. सूत्रकृतांग, 2/2/521 211. वही, 1/4/2/71 212. कल्पसूत्र एस०बी०ई०, पृ० 223 151 213. सूत्रकृतांग, 2/2/741 214. कल्पसूत्र, 4/36, पृ० 2321 215. वही, 1/3/38। 216. उत्तराध्ययन, 19/41 217. वही चन्दना जी, 9/461 218. वही, 6/5: 8/17: 9/46,49,60: 19/68 आयारो, पृ० 83। 219. ज्ञातृधर्मकथा, 17 पृ० 2021 220. उत्तराध्ययन सूत्र 36/74 : सूत्रकृतांग 2/4/61 : 1/4/2/7 : 1/7/13। 221. सूत्रकृतांग, 2/3/36: उत्तराध्ययन, 36/761 222. सूत्रकृतांग, 2/3/35/21 223. उत्तराध्ययन 34/7:36/72-741 224. सूत्रकृतांग, 2/8/80। 225. उत्तराध्ययन, 9/46, 48 : सूत्रकृतांग, 2/2/68: कल्पसूत्र, पृ० 252, 98 226. उत्तराध्ययन, 19/68 : सूत्रकृतांग, 2/3/36: 2/2/70,801 227. सूत्रकृतांग, 2/3/36, पृ० 3971 228. वही, 2/3/35/21 229. वही, 2/3/361 230. उत्तराध्ययन, 36/751 231. सूत्रकृतांग, 2/2/47,62 : उत्तराध्ययन, 34/9। 232. कल्पसूत्र, पृ० 249,901 233. वही, पृ० 235,238 व 2411 234. आचारांग एस०बी०ई०, 2/2/1, पृ० 123 जैकोबी इसकी व्याख्या करते हुए कहते हैं
कि टीकाकार हिरण्य का अर्थ अपरिष्कृत स्वर्ण से लेते हैं जबकि सुवर्ण परिष्कृत स्वर्ण था।