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232 • जैन आगम : इतिहास एवं संस्कृति
227. इथिकल डाक्ट्रिन्स इन जैनिज्म, पृ० 102। 228. सिद्धसेनगणि कृत तत्वार्थसूत्र, 7/16। 229. तत्वार्थ सूत्र उमास्वाति, 7/16 : द्र० जैन इथिक्स, पृ० 1351 230. तत्वार्थसूत्र पूज्यपाद 7/341 231. तत्वार्थसूत्र सिद्धसेनगणि, 7/29। 232. वही, 7/341 233. तत्वार्थसूत्र, पूज्यपाद, 7/28-29। 234. वही। 235. द्र० जैन धर्म, पृ० 88। 236. द्र० जैन इथिक्स, पृ० 1301 237. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 87 तथा सागार धर्मामृत, 5/14 में उपभोग-परिभोग परिमाणवत
को यम तथा नियम कहा गया है। 238. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, पृ० 88-89 : जैन इथिक्स, पृ० 132। 239. द्र० जैन इथिक्स, पृ० 1371 240. वसुनन्दि श्रावकाचार, 220-21: पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 171: अमितगति श्रावकाचार, 10/4
: सागार धर्मामृत, 5/441 241. एथिक्ल डाक्ट्रिन्स इन जैनिज्म, पृ० 107। 242. द्र० जैन इथिक्स, पृ० 1391 243. द्र० जैन धर्म, पृ० 891 244. न सल्लेखनां प्रतिपन्नस्य रागादय सन्ति ततौ नात्मवधदोषः।
द्र० तत्वार्थसूत्र पूज्यपाद, 7/22: सागारधर्मामृत, 8/81 245. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 1221 246. सागारधर्मामृत, 8/20: अमितगति श्रावकाचार, 6/981 247. सागारधर्मामृत, 8/71 248. श्रावकः किल सकलस्य श्रावकधर्मस्योद्यपनार्थमिवान्ते संयम प्रतिपद्यते-योगशास्त्र
हेमचन्द्र, 3/149 पृ० 272: द्र० जैन इथिक्स, 1401 249. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 127-28: द्र० एथिकल डाक्ट्रिन्स इन जैनिज्म, पृ० 118-19। 250. तत्वार्थसूत्र 7/32, अमितगति श्रावकाचार, 7/15 तथा सागारधर्मामृत, 8/45, द्र० जैन
इथिक्स, पृ० 1411 251. उपासकदशांग, 1/571 252. द्र० जैनधर्म, पृ० 891 253. उत्तरज्झयणाणि सानु० 31/11, पृ० 434 सटिप्पण पृ० 291: दशवैकालिक
उत्तराध्ययन, लाडनूं, पृ० 259: समवायांग, समवाय, 11। 254. वसुनन्दिन श्रावकाचार, पृ० 57,591 255. अभयदेव इसके अन्तर्गत केवल अणुव्रत पालन को रखते हैं। 256. उपासकदशांग द्र० इथिकल डाक्ट्रिन्स इन जैनिज्म, पृ० 112। 257. सागार धर्मामृत, 7/27: द्र० जैन इथिक्स, पृ० 144। 258. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 779-801 259. वसुनन्दिन श्रावकाचार, 2991 260. कार्तिकयानुप्रेक्षा, शुभचन्द्र, पृ० 3861