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________________ 108 • जैन आगम : इतिहास एवं संस्कृति उपाध्याय समस्त श्रुत ज्ञान के अधिकारी, संयमयोग युक्त सूत्रार्थ के ज्ञाता मुनि उपाध्याय के पद पर नियुक्त हो सकते थे। ज्ञानदर्शन व चरित्र की आराधना में शिष्यों को श्रुत सम्पन्न बनाने वाले उपाध्याय होते थे। ओघनियुक्ति व वृत्ति के अनुसार उपाध्याय सूत्र की वाचना किया करते थे। क्योंकि श्रुत की परम्परा तो एक प्रवाह है। उसका उत्स सूत्र है। श्रुत परम्परा के अविच्छिन्न संरक्षण के लिए उपाध्याय की सक्रियता अनिवार्य थी। उपाध्याय श्रमणों के प्रशिक्षक होते थे। आरम्भिक आगम युग में उपाध्याय का कार्यक्षेत्र केवल अध्यापन तक ही सीमित था। वैदिक परम्परा में भी अध्ययन, अध्यापन की दृष्टि से उपाध्याय पद की प्रतिष्ठा थी। आचार्य हेमचन्द्र ने लिखा है कि उपाध्याय पाठ दाता होता है। मनुष्य जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए ज्ञान का स्थान सर्वोपरि है। इसलिए उपाध्याय को जैन और वैदिक दोनों परम्पराओं में अतिरिक्त प्रतिष्ठा प्राप्त थी। आचार्योपाध्याय यह स्पष्ट नहीं है कि आचार्योपाध्याय शब्द समुदाय एक पदाधिकारी के लिए प्रयुक्त होता था अथवा दो के लिए। उदाहरण के लिए 'आचार्योपाध्यायस्य आचार्योपाध्याययोखा'60 या 'आचार्येणसह उपाध्यायः आचार्योपाध्याय:'61 वाक्यखण्ड जो कि आचार्योपाध्याय के विशेषाधिकारों तथा संघत्याग के नियम के विषय में है एक के लिए है या दो के लिए स्पष्ट नहीं होता।62 श्रुबिंग के अनुसार यह आचार्य तथा उपाध्याय के बीच का पद था। जो भी हो स्थानांगसूत्र में आचार्योपाध्याय के पांच विशेषाधिकार बताये गये हैं (1) वह उपाश्रय में पैरों को रगड़ कर धूलि साफ कर सकते हैं। यतनापूर्वक दूसरों पर न झड़े ऐसा करने पर उन्हें आज्ञा अतिक्रमण का दोष नहीं होता। (2) उपाश्रय में उच्चार प्रावण का (प्राकृतिक विसर्जन) प्रश्रवण कर सकते हैं। (3) उनकी इच्छा पर है कि किसी साधु की सेवा करे या नहीं करें। (4) उपाश्रय में दो रात तक अकेले रह सकते हैं। (5) उपाश्रय से बाहर एक या दो रात तक रहने पर आज्ञा अतिक्रमण का उन्हें दोष नहीं लगता। इसी प्रकार पांच कारणों से आचार्योपाध्याय गण छोड़ सकते थे05_
SR No.023137
Book TitleJain Agam Itihas Evam Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Chaturvedi
PublisherAnamika Publishers and Distributors P L
Publication Year2000
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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