________________ नरक के जीवों के समान भवनवासी, अग्निकाय, पृथ्वीकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, ज्योतिषी देव और वैमानिक देव आदि सब जीवों के विषय में अलग-अलग प्रश्न किये और भगवान् ने उत्तर दिया-यह सब सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं। एक प्रकार का आत्मबल वीर्य कहलाता है। जब वह आत्मबल किसी प्रकार की क्रिया नहीं करता, तब लब्धिवीर्य कहलाता है और जब क्रिया में व्यावहृत होता है तब करणवीर्य कहलाता है। भगवान् के उत्तर सुनकर गौतम स्वामी कहने लगे ! प्रभो ! आप का कथन सत्य है, तथ्य है। ऐसा कहकर वे संयम और तप से आत्मा को भावित करते हुए विचरने लगे। श्री विवाह प्रज्ञप्ति सूत्र का आठवां उद्देशक समाप्त 282 श्री जवाहर किरणावली।