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________________ इस पाठ में अवगाहना आदि के विषय में विचार किया गया है। गौतम स्वामी पूछते हैं-प्रभो! सूर्य स्पर्श करता है तो अवगाहन भी करता है? भगवान् ने फरमाया- हां गौतम! अवगाहन भी करता है। स्पर्श और अवगाहन में अन्तर है। ऊपर से संयोग हो जाना, मिल जाना स्पर्श होना कहलाता है और दूध में मिश्री की तरह एकमेक हो जाना अवगाहन कहलाता है। चाहे कोई मनुष्य पृथ्वी के नीचे सात भौंयरों में रहे और वहां सूर्य की किरणें न पहुंच पावें, तब भी सूर्योदय होने पर उस स्थान की रचना बदली हुई ही मालूम होगी। इसके लिए एक दृष्टान्त प्रसिद्ध है। किसी राजा ने कुछ आदमियों को अंधेरे भौंयरों में डाल दिया। फिर उन लोगों से पूछा गया-बताओ, अभी दिन है या रात है? उनमें से एक ने कहा-इस समय दिन है। राजा ने कहा-तुझे कैसे मालूम हुआ कि इस समय दिन है? उसने उत्तर दिया मुझे रतौंध आती है। यद्यपि यहां अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं देता किन्तु मेरी आंखों में ज्योति तो आ गई है। प्रश्न-भगवन्! सूर्य अनन्तर अवगाहन करता है या परम्परावगाहन? अवगाहन में अन्तर न रहना अनन्तर अवगाहन कहलाता है और एक को छोड़कर दूसरे को अवगाहन करना परम्परा अवगाहन करना कहलाता है। उत्तर-हे गौतम! अनन्तर अवगाहन करता है। प्रश्न-भगवन्! सूर्य बारीक चीज को प्रकाशित करता है या बड़ी चीज को? उत्तर-हे गौतम! अणु और बादर अर्थात् छोटी-मोटी सभी चीजों को प्रकाशित करता है। प्रश्न - भगवन्! सूर्य ऊंचा प्रकाश करता है, नीचा प्रकाश करता है या तिर्छा प्रकाश करता है? उत्तर-हे गौतम! तीनों दिशाओं में प्रकाश करता है। ऊंचे, नीचे और तिर्छ में भी आदि, मध्य और अन्त यह तीन भेद हो जाते हैं। अतएव गौतम स्वामी पूछते हैं-भगवन्! सूर्य आदि में प्रकाश करता है, अन्त में प्रकाश करता है या मध्य में प्रकाश करता है? उत्तर-हे गौतम! आदि में भी, अन्त में भी और मध्य में भी प्रकाश करता है। सूर्य के फैलने की जितनी मर्यादा है, उसे सूर्य का विषय कहते हैं। गौतम स्वामी ने प्रश्न किया-प्रभो! सूर्य अपनी मर्यादा में प्रकाश करता है या मर्यादा से बाहर? ६४ श्री जवाहर किरणावली ८४ श्री जवाहर किरणावला 8888 9 99999999999999999999999999999999808993980
SR No.023135
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size19 MB
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