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आचार्य श्री जवाहर - ज्योतिकण
विपत्तियों के तमिस्र गुफाओं के पार जिसने संयम - साधना का राजमार्ग स्वीकार किया था ।
ज्ञानार्जन की अतृप्त लालसा ने जिनके भीतर ज्ञान का अभिनव आलोक निरंतर अभिवर्द्धित किया ।
संयमीय साधना के साथ वैचारिक क्रांति का शंखनाद कर जिसने भू-मण्डल को चमत्कृत कर दिया ।
उत्सूत्र सिद्धांतों का उन्मूलन करने, आगम-सम्मत सिद्धांतों की प्रतिष्ठापना करने के लिए जिसने शास्त्रार्थों में विजयश्री प्राप्त की ।
परतंत्र भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए जिसने गांव-गांव, नगर-नगर पाद-विहार कर अपने तेजस्वी प्रवचनों द्वारा जन-जन के मन को जागृत किया ।
शुद्ध खादी के परिवेश में खादी अभियान चलाकर जिसने जन-मानस में खादी - धारण करने की भावना उत्पन्न कर दी ।
अल्पारंभ - महारंभ जैसी अनेकों पेचीदी समस्याओं का जिसने अपनी प्रखर प्रतिभा द्वारा आगम-सम्मत सचोट समाधान प्रस्तुत किया ।
स्थानकवासी समाज के लिये जिसने अजमेर सम्मेलन में गहरे चिंतन-मनन के साथ प्रभावशाली योजना प्रस्तुत की । महात्मा गांधी, विनोबा भावे, लोकमान्य तिलक, सरदार वल्लभ भाई पटेल, पं श्री जवाहर लाल नेहरू आदि राष्ट्रीय नेताओं
जिनके सचोट प्रवचनों का समय-समय पर लाभ उठाया । जैन व जैनेत्तर समाज जिसे श्रद्धा से अपना पूजनीय स्वीकार
करता था ।
सत्य सिद्धांतों की सुरक्षा के लिये जो निडरता एवं निर्भीकता के साथ भू-मंडल पर विचरण करते थे ।