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________________ निकलती हुई गाय बंधनी है या बांधने के लिए खूटे पर आई हुई? बंधने के लिए खूटे के पास आई हुई गाय बांधी जाती है। तो जीव के प्रदेश से जो कर्म चलायमान हो गये, उन्हें जीव नहीं बांधता, क्योंकि वे ठहरने वाले नहीं है। ऐसे कर्म चलित कहलाते हैं। इससे विपरीत कर्म अचलित कहे जाते हैं। व्याख्यान सभा में एक भाई आ रहा है और एक जा रहा है। एक भाई यहां सब को यथास्थान बैठाने वाला है। बैठाने वाला भाई उसी को बिठलाएगा जो बैठने के लिए आया हैं। जो जा रहा है उसके बैठाने के लिए व्यवस्था करने की क्या आवश्यकता है? जो जा रहा है और जो आ रहा है, दोनों ही चलित जान पड़ते हैं, लेकिन आने वाला बैठने के लिए आया है, अतएव वह स्थिर है और जाने वाला चलित है। यही बात कर्म के सम्बन्ध में है। जीव आने वाले कर्मो को बांधता है या जाने वाले कर्मों को? इसका उत्तर दिया गया है आने वाले अर्थात् आये हुए कर्मों को। शास्त्रीय परिभाषा में जाने वाले–अर्थात् जो कर्म जीव-प्रदेश में नहीं रहने वाले हैं उन कर्मों को चलित कहते हैं और उनसे विपरीत को अचलित कहते हैं। इसी आधार पर गौतम स्वामी ने भगवान् महावीर से प्रश्न किया कि जीव चलित कर्म बांधता है अथवा अचलित कर्म बांधता है? भगवान् ने उत्तर दिया-जीव अचलित कर्म बांधता है, चलित नहीं। दूसरा प्रश्न है-भगवन्! नरक के जीव चलित कर्म की उदीरणा करते हैं या अचलित कर्म की? इसका उत्तर भगवान् ने यह फरमाया है कि नारकी अचलित कर्म की उदीरणा करते हैं। जो कर्म चलित है, वह तो आप ही चलायमान हो रहा है, उसकी उदीरणा क्या होगी ! जो मनुष्य स्वयं जा रहा है उसका बाहर निकालना ही क्या । बाहर तो वही निकाला जायेगा जो बैठने की चेष्टा कर रहा हो या बैठा हो। जो बैठा हो उसे निकालने की चेष्टा करना ही उदीरणा है अर्थात् कर्मों को उनके जाने के नियत समय से पहले ही भगा देना उदीरणा कहलाती है। अतएव उदीरणा अचलित कर्म की ही होती है, चलित की नहीं। - श्री भगवती सूत्र व्याख्यान २७३
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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