________________
3.
1. प्रा. तुम्हे एत्थ चिठ्ठेह, वीरं जिणं अम्हे अच्चेमो ।
सं. यूयमत्र तिष्ठत, वीरं जिनं वयमर्चामः ।
हि. तुम यहाँ खड़े रहो, हम वीर जिनेश्वर की पूजा करते हैं ।
2. प्रा. सच्चं बोल्लिज्जा ।
सं. सत्यं वदेत् ।
हि. सत्य बोलना चाहिए ।
4.
पाठ
15
प्राकृत वाक्यों का संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद
5.
-
प्रा. धम्मं समायरे ।
सं. धर्मं समाचरेत् ।
हि. धर्म करना चाहिए ।
प्रा. उज्जमेण विणा धर्मं न लहेमु ।
सं. उद्यमेन विना धर्मं न लभेय ।
हि. मैं प्रयत्न किये बिना धर्म प्राप्त नहीं करूँ ।
प्रा. सुत्तस्स मग्गेण चरिज्ज भिक्खू ।
सं. सूत्रस्य मार्गेण चरेद् भिक्षुः ।
हि. साधु को सूत्र (शास्त्र) के अनुसार चलना चाहिए ।
6. प्रा. जो गुरुकुले निच्चं वसेज्ज, सो सिक्खणं अरिहेइ ।
सं. यो गुरुकुले नित्यं वसेत्, स शिक्षणमर्हति ।
हि. जो हमेशा गुरुकुल में रहता है, वह शिक्षण (ज्ञान) के योग्य बनता है ।
7. प्रा. मुषावायं न वएज्जसि ।
सं. मृषावादं न वदेः ।
हि. तुझे झूठ नहीं बोलना चाहिए ।
8. प्रा. तुं नयं न चयिज्जे ।
सं. त्वं नयं न त्यजेः ।
हि. तुझे नीति का त्याग नहीं करना चाहिए ।
9.
प्रा. जइ तुम्हे विज्जत्थिणो अत्थि, तया सुहं चएह, पढणे य उज्जमह । सं. यदि यूयं विद्यार्थिनः स्थ, तदा सुखं त्यजत, पठने चोद्यच्छत । हि. जो तुम विद्या के अर्थी हो, तो सुख का त्याग करो और पढ़ने में उद्यम करो ।
५८