________________
प्राकृत विद्यार्थियों को सूचनाएँ
प्राकृत विज्ञान पाठमाला की गाइडबुक Guide Book के सर्जन का मुख्य उद्देश्य प्राकृत भाषा के ज्ञान में विशेष वृद्धि करने का ही है । इस मार्गदर्शिका में प्राकृत विज्ञान पाठमाला में जो जो प्राकृत वाक्य हैं, उनका संस्कृत और गुजराती अनुवाद किया गया है तथा जो जो गुजराती वाक्य है, उनका प्राकृत और संस्कृत अनुवाद किया गया है |
हमारा उद्देश्य होशियार विद्यार्थी को कमजोर बनाने का नहीं है, बल्कि कमजोर विद्यार्थी को होशियार बनाने का है।
प्राकृत विज्ञान पाठमाला का अभ्यास करते समय विद्यार्थी स्वयं अपनी बुद्धि से प्राकृत का संस्कृत-गुजराती और गुजराती वाक्यों का प्राकृत-संस्कृत अनुवाद कर इस गाइड से check कर अपनी बुद्धि विकसित कर सकेगा ।
प्राकृत विज्ञान पाठमाला की उपयोगिता
प्रातः स्मरणीय परम आदरणीय पुनः पुनः वंदनीय, धर्मराजा पूज्यपाद दादा गुरुदेव आचार्य देव श्रीमद् विजय कस्तुरसूरीश्वरजी म.सा. के हृदय में यह बात हमेशा रहती थी कि न्याय, व्याकरण और साहित्य के अभ्यास के कारण संस्कृत भाषा का विकास तो खूब हुआ है और हो रहा हैं, परंतु श्री वीरप्रभु के मुखारविंद से निकली अमृत समान अर्धमागधी प्राकृत भाषा जो जैनों की 'मातृभाषा' कहलाती है, फिर भी उसका विकास क्यों नहीं ? उसकी उपेक्षा क्यों हो रही है ? इसी बात को लक्ष्य में रखकर उन्होंने प्राकृत भाषा को आत्मसात् कर, प्राकृत भाषा के रसिक बाल जीव भी इस भाषा का ज्ञान सरलता से कर सके, इसके लिए 'प्राकृत विज्ञान पाठमाला' की रचना की थी।
_ वि.सं. १९९९ में इस पाठमाला की प्रथम आवृत्ति, वि. सं. २००४ में द्वितीय और वि.सं. २०१४ में इसकी तृतीय आवृत्ति प्रकाशित हई । प्रत्येक आवृत्ति के प्रकाशन समय में अपने विशाल अनुभव के आधार पर विद्यार्थियों के अभ्यास में सरलता रहे, इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर जहां-तहां सुधार भी किया । इसी के फल स्वरुप प्राकृत भाषा के विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तक एक आदर्श पुस्तक बनी है ।