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पाठ -3 प्राकृत वाक्यों का संस्कृत-हिन्दी अनुवाद प्राकृत संस्कृत
हिन्दी आदरेइ आद्रियते
वह आदर करता है। (आ + दृ 6 ला गण आ.) जम्मंति जायन्ते
वे उत्पन्न होते हैं। निज्झरए क्षयति
वह नष्ट होता है। बविरे ब्रुवन्ति
वे बोलते हैं। वडिरे वर्धन्ते
वे बढ़ते हैं। हक्कन्ते (निषेधन्ति (1ला गण) वे निषेध करते हैं।
निषिध्यन्ति (4था गण) जिणेह जयथ
तुम जीतते हो। धुणन्ते धुन्वन्ति
वे हिलाते हैं। सरित्था स्मरथ
तुम याद करते हो। लुणिरे लुनन्ति
वे काटते हैं। हुणन्ति जुह्वति
वे होम करते हैं। धुणेइ धुनाति
वह हिलाता है। फरिसिरे स्पृशन्ति
वे स्पर्श करते हैं। रवेइ रौति
वह आवाज करता है। सुमरेन्ति स्मरन्ति
वे याद करते हैं। चिणए चिनोति
वह इकट्ठा करता है। थुणेइरे स्तुवन्ति
वे स्तुति करते हैं। पुणेइ पुनाति
वह पवित्र करता है। सुणंति शृण्वन्ति
वे सुनते हैं। बुवेइ ब्रवीति
वह बोलता है। कहेन्ति कथयन्ति
वे कहते हैं। जाणन्ते | जानन्ति
वे जानते हैं। देक्खेइरे पश्यन्ति
वे देखते हैं। पीडेइ । पीडयति
वह दुःख देता है।
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