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तुम्हें धन्य है, तुम सकल कल्याण के पात्र हो, अतः (तुमने) मांस का त्याग किया ।
प्राकृत साम्प्रतं मद्यव्यसनदोषाञ्शृणुअनच्चइ गायइ 'पहसइ, पणमइ 'परिभमइ मुयइ वत्थं पि । 1"तूसइ "रूसइ निक्कारणं पि 'मइरामउम्मत्तो ।।200।।
___जणणि पि पिययम, पिययमं पि'जणणिं जणो विभावन्तो । _ 'मइरामएणमत्तो, गम्मागम्मं 1°न "याणेइ ।।201।। न हुअप्पपरविसेसं, 'वियाणए 'मज्जपाणमूढमणो । 'बहु'मन्नइ अप्पाणं, पहुं पि निब्भत्थए जेण ।।202।।
“वयणे पसारिए 'साणया, विवरब्भमेण मुत्तंति । पहपडियस्स 'सवस्स व, “दुरप्पणो मज्जमत्तस्स ।।203।।
. संस्कृत अनुवाद मदिरामदोन्मत्तो निष्कारणमपि, नृत्यति, गायति, प्रहसति , प्रणमति, परिभ्राम्यति , वस्त्रमपि मुञ्चति , तुष्यति, रुष्यति ||200।।
मदिरामदेन, मत्तो जनो जननीमपि प्रियतमां, प्रियतमामपि
जननीं विभावयन् गम्याऽगम्यां न जानाति ||201।। मद्यपानमूढमना आत्मपरविशेषं न खलु विजानाति । आत्मानं बहु 'मन्यते, येन प्रभुमपि निर्भर्त्सयेत् ।।202।।
शवस्येव पथिपतितस्य, मद्यमत्तस्य दुरात्मनः । ... प्रसारिते वदने श्वानः विवरभ्रमेण मूत्रयन्ति ।।203।।
हिन्दी अनुवाद अब मद्यपान के व्यसन से होनेवाले दोष सुनो
मदिरापान से मदोन्मत्त बना व्यक्ति निष्कारण भी नृत्य करता है, गाता है, खड़खड़ाह हँसता है, प्रणाम करता है, भटकता है, कपडा फेंकता है, आनंदित होता है और गुस्सा करता है 1 (200)
मदिरा के मद से उन्मत्त मानव माता को भी पत्नी, पत्नी को माता स्वरूप मान लेता है, गम्य या अगम्य उसके पास जा सके या नहीं-वह भी नहीं जानता है । (201)
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