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________________ (नपुंसकलिंग) अमिअ। (अमृत) अमृत | भोयण (भोजन) भोजन अमय । | मज्झ (मध्य) बीच में, अन्दर, अंसु (अश्रु) आँसू महु (मधु) मधु तारग (तारक) तारा | रण्ण (अरण्य) जंगल, वन, अरण्य दहि (दधि) दही अरण्ण पडिक्कमण (प्रतिक्रमण) आवश्यक वारि (वारि) पानी कार्य, क्रियाविशेष सासण (शासन) आगम, शास्त्र, बम्हचेर ) (ब्रह्मचर्य) ब्रह्मचर्य. शिक्षा, आज्ञा, शासन. बम्हचरिअ बंभचेर (पुंलिंग + नपुंसकलिंग) मंत (मन्त्र) मंत्र, विचार, गुप्त बात. | मित्त (मित्र) मित्र, विशेषण अजिण्ण (अजीर्ण) अजीर्ण, अपच |दित (ददत्) देता अम्हारिस (अस्मादृश) हमारे जैसे धन्न (धन्य) धन्य, प्रशंसा करने योग्य अरहंत ) (अर्हत्) पूज्य, तीर्थंकर |पहावग (प्रभावक) प्रभावना करनेवाला, अरिहंत |उन्नति करनेवाला अरुहंत) पालग (पालक) पालन करनेवाला अहिण्णु (अभिज्ञ) कुशल, पंडित मणोज्ज) (मनोज्ञ) सुन्दर कय । (कृत) किया हुआ मणोण्ण) . कडा विरहिअ (विरहित) रहित कयण्णु (कृतज्ञ) उपकार को जाननेवाला सवण्णु (सर्वज्ञ) सर्वज्ञ भगवान, सब कायब्द (कर्तव्य) करने योग्य जाननेवाले अव्यय अहणा (अधुना) अभी, हाल तओ (ततः) उसके कह । (कथम्) कैसे, किस तरह . -उस कारण से . कह। ६१
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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