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________________ IF साहू साहुं साहुणा साहु (साधु) • साहवो, साहउ, साहओ, साहुणो, साहू. साहुणो, साहू. साहूहि, साहूहिँ, साहूहिं. दहि(दधि) एकवचन बहुवचन दहीइं, दहीइँ, दहीणि. | नपुंसकलिंग . • दहिं 43 दहीहि, दहीहिँ, दहीहिं | दहिणा महु (मधु) एकवचन | | बहुवचन महूइं, महूइँ, महूणि. | महुणा महूहि, महूहिँ, महूहिं. 5. इन् अन्तवाले शब्दों के अन्त्य व्यंजन न् का लोप होने पर उसके रूप इकारान्त नाम के समान होते हैं । उदा. जोगि (योगिन्) 6. शब्द के अन्दर म्न और ज्ञ का ण्ण या न्न होता है तथा प्रारम्भ में न या ण होता है । (२/४२, ८३) उदा.पज्जुण्णो । (प्रद्युम्नः)| विण्णाणं । (विज्ञानम्) | नाणं । (ज्ञानम्) पज्जुन्नो । विन्नाणं | णाणं आर्ष प्राकृत में प्रथमा और द्वितीया बहुवचन में अवे प्रत्यय का प्रयोग भी दिखाई देता है । उदा. गुरु + अवे = गुरवे , बहवे- साहवे आदि । उदा. ताव य तत्थारण्णे गिद्धो दट्टण साहवे सहसा ।। इति पउमचरिए (इतने में उस जंगल में गिद्ध पक्षी ने साधुओं को देखकर जल्दी.) • संस्कृत में सिद्ध प्रयोग पर से दहि-मह (दधि-मध) आदि भी होते हैं, किसी स्थान में दहिँ , महँ वगैरह प्रयोग भी होते हैं । -
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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