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________________ पुंलिंग पंचमी पाठ - 9 अकारान्त नाम पंचमी और छठी विभक्ति प्रत्यय (३/८, ९, १०, ६) एकवचन त्तो, ओ, उ, (तो-तु), हि, हिन्तो, 0 ( लुक्) छठी स्स नपुंसकलिंग पुंलिंगवत् 1. तो और एकारादि प्रत्ययों को छोड़कर पंचमी विभक्ति के सभी प्रत्यय - बहुवचन त्तो, ओ, उ, (तो-तु) हि, हिन्तो, सुन्तो, एहि, एहिन्तो एसुन्तो. ण. णं लगाने पर पूर्व के अ का आ होता है । (३/१२, १३) उदा. देव + ओ = देवाओ, देव + हिन्तो 2. एकारादि प्रत्ययों के पूर्व में रहे अ का लोप होता है । ( ३/१५) उदा. देव + एहि = देवेहि. देवाहिन्तो, देव + त्तो = देवत्तो. 3. छठी विभक्ति बहुवचन के प्रत्यय लगाने पर पूर्व अ, इ, उ दीर्घ होते हैं । (३ / १२) उदा. देव + णं = देवाणं. रूप पुंलिंग = जिण (जिन) एकवचन बहुवचन पंचमी जिणत्तो, जिणाओ, जिणाउ, जिणत्तो, जिणाओ, जिणाउ, जिणाहि, जिणाहि, जिणाहिन्तो, जिणा. जिणाहिन्तो, जिणासुन्तो, जिणेहि, जिणेहिन्तो, जिणेसुन्तो जिणाण, जिणाणं. पंचमी - नाणत्तो, नाणाओ, नाणाउ, छठी जिणस्स तो- तु इन प्रत्ययवाले पंचमी के रूपों का वसुदेवहिण्डि आदि प्राकृत कहानियों में तथा सूत्रों की चूर्णि आदि में बहुत प्रयोग किया गया है । नपुंसकलिंग नाण (ज्ञान) ४३ नाणत्तो, नाणाओ, नाणाउ, नाणाहि नाणाहिन्तो, नाणासुन्तो, "
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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