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________________ 4. (अ). शब्द में स्वर के बाद असंयुक्त "क-ग-च-ज-त-द-प-य अथवा व' व्यंजन हो तो प्राकृत में इन व्यंजनों का लोप होता है । उदा. क-लोओ (लोकः)/ज, त-रययं (रजतम्)|प-रिऊ (रिपुः) ग-नओ (नगः) |त-जई (यतिः) य-विओगो (वियोगः) च-सई (शची) |द-गया (गदा) व-लावण्णं (लावण्यम्) (ब). अ वर्ण के बाद 'प' हो तो प का व होता है । उदा. पावो (पापः) (क). अ वर्ण के बाद अ वर्ण हो तो अ का प्रायः य होता है । (१/१७७, १८०) उदा. जणय (जनक) [जनक के क का लोप होकर उसके स्थान पर अ आने से अ का य हुआ ] अपवाद :- किसी स्थान में क का ग भी होता है । उदा. लोगो (लोकः), सावगो (श्रावकः) 5. व्यंजनसहित स्वर में से व्यंजन का लोप होने से शेष स्वर की पूर्वस्वर के साथ संधि नहीं होती है । (१/८) उदा. निसाअरो (निशाचरः) रयणिअरो (रजनिचरः) पयावई (प्रजापतिः) अपवाद - किसी किसी स्थान में विकल्प से संधि होती है । उदा. कुंभआरो-कुंभारो (कुम्भकारः), कविईसरो-कवीसरो (कवीश्वरः), सुउरिसो-सूरिसो (सुपुरुषः), लोहआरो, लोहारो (लोहकारः) । 6. शब्द में असंयुक्त 'न' का ण होता है तथा आदि में न हो तो विकल्प से ण होता है । (१/२२८, २२९) उदा. दाणं (दानम्), धणं (धनम्) नाणं । (ज्ञानम्) | नरो । (नरः) णाणं __णरो 7. नेत्त शब्द और उसके अर्थवाले शब्दों का पुंलिंग में भी विकल्प से प्रयोग होता है । (१/३३) उदा. नेत्ता-नेत्ताइं, नयणा-नयणाई । 8. प्राकृत में अन्त्य व्यंजन का लोप होता है- (१/११) उदा. ताव (तावत्) जसो (यशस्) जाव (यावत्) तमो (तमस्) अप्प (आत्मन्) जय। कम्म (कर्मन्) जग। (जगत्) - ३२
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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