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________________ अपूर्णांक शब्द पाय पुं. (पाद) = चौथा भाग, अद्धतइय पुं, नपुं. (अर्ध) = आधा भाग, अड्डाइय } = आधा अड्डाइज्ज पाओण) वि. ( पादोन) = पौना, पाव अधुट्ठ अद्ध अड्ड पाऊण कम पोण सवाय वि. ( सपाद) = सवा पाव सहित वि. ( सार्ध) = डेढ़, आधासहित } सद्ध सड्ढ दिवड्ड वि. (द्वयपार्ध) = डेढ़ पढम बीअ बिइअ दुइय दुइज्ज दोच्च तीअ तइअ तच्च तिइज्ज तिइय संख्यापूरक शब्द ( प्रथम ) पहला, 1ला, (द्वितीय) दूसरा, 2रा (तृतीय) तीसरा उरा वि. ( अर्धचतुर्थ अध्युष्ट) साढ़े तीन अड्डट्ठ अद्वपंचम वि. (अर्धपञ्चम) साढ़े चार अद्धछट्ट वि. (अर्धषष्ठ) साढ़े पाँच अद्धसप्तम वि. (अर्धसप्तम) साढ़े छह अद्धट्ठम वि. (अर्धाष्टम) साढ़े सात अद्धनवम वि. (अर्धनवम) साढ़े आठ अद्धदसम वि. (अर्धदशम) साढे नौ वि. (अर्धतृतीय) ढाई - चउत्थ ) ( चतुर्थ, तुर्य) चौथा, 4 था चोत्थ तुरिय पंचम (पञ्चम) पाँचवाँ 5 वाँ · छट्ट (षष्ट) छट्टा, 6 ठा सत्तम (सप्तम) सातवाँ, 7 वाँ अट्ठम (अष्टम) आठवाँ 8 वाँ नवम (नवम्) नौवाँ, 9 वाँ दहम (दशम) दसवाँ, 10 वाँ दसम २३२ 10. एक्कारस आदि संख्यावाचक नामों को प्रयोगानुसार 'अ-म-यम-इम' प्रत्यय लगाने से संख्यापूरक शब्द बनते हैं, 'अ' प्रत्यय लगाने पर पूर्व के स्वर का लोप होता है तथा संस्कृत सिद्ध प्रयोग से भी प्राकृत नियमानुसार परिवर्तन होकर उपयोग होता है ।
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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