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________________ शब्दार्थ (पुंलिंग) अक्क (अर्क) = सूर्य पिअर । (पितृ) = पिता असोगचन्द (अशोकचन्द्र) = श्रेणिक पिउ । के पुत्र का नाम, दूसरा नाम कोणिक | भत्तार । (भर्तृ) = स्वामी, पति अहिमन्नु ) (अभिमन्यु), विशेषनाम, | भतु । अहिमक्षु ) अर्जुन का पुत्र, भायर, भाउ, (भ्रातृ) = भाई, बन्धु अहिमज्जु ) अभिमन्यु लक्खण (लक्ष्मण) = राम का भाई, आसम (आश्रम) = आश्रम, तापस का | लक्ष्मण स्थान लेह (लेख) = लेख कउरव (कौरव) = कुरुराजा के वंशज, वासुदेव (वासुदेव) = वासुदेव कौरव |सच्चवय (सत्यवद) = सत्य जामायर । (जामातृ) = दामाद | बोलनेवाला, सत्यवादी जामाउ । | सिद्धत्थ (सिद्धार्थ) = सिद्धार्थ राजा, जीवाइ (जीवादि) = जीव-अजीव आदि भगवान महावीर के पिता का नाम नौ तत्त्व हरअ, द्रह (हृद) = तालाब, बड़ा पहिअ (पथिक, पान्थ) = मुसाफिर सरोवर (नपुंसकलिंग) अग्ग (अग्र) = आगे, शिखर भाल (भाल) = ललाट आयारंग (आचाराङ्ग) = आचारांग सूत्र, भूयहिअ (भूतहित) = जीवों का उपकार बारह अंगों में से प्रथम अंग का नाम | भोयण (भोजन) = भोजन चीवंदण (चैत्यवंदन) चैत्यवंदन लक्खण (लक्षण) = लक्षण, चिह्न चोज्ज (चोद्य) = आश्चर्य, प्रश्न ललाड (ललाट) = भाल, ललाट तत्तनाण (तत्त्वज्ञान) = जीवादि तत्त्वों| णडाल, का ज्ञान | सगास (सकाश) = समीप, पास में परिमाण (परिमाण) = मान, माप |सरण (शरण) = शरण, आश्रय बंधण (बन्धन) = बेड़ी, बाँधना सरोरुह (सरोरुह) = कमल (पुंलिंग + नपुंसकलिंग) परदार (परदार) = परस्त्री | सत । (शत) = सौ की संख्या माहप्प (माहात्म्य) = महिमा, प्रभाव, | सय । बडप्पन सकम्म (स्वकर्म) = अपना कर्म -१२४
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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