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________________ और नपुंसकलिंग के समान बनते हैं । (३/४४) उदा. पिउ (पितृ), कतु (कर्तृ), दाउ (दातृ) 9. पुंलिंग प्रथमा एकवचन में ऋ का आ विकल्प से होता है । (३/४८) उदा. पिआ (पिता), कता (कर्ता), दाया (दाता) 10. (1) संबंधवाचक ऋकारान्त शब्दों के संबोधन एकवचन में अन्त्य क्र का अ और अरं होता है । (३/३९) उदा. हे पिअ !, हे पिअरं ! (पित) (2) विशेषणवाचक ऋकारान्त शब्दों के संबोधन एकवचन में अन्त्य ऋ का अ विकल्प से होता है । उदा. हे कत्त ! (कर्तृ), हे दाय ! (दातृ) 11. आर्ष में छठी विभक्ति एकवचन में ए प्रत्यय भी लगता है। उदा. पिउए, भाउए आदि अकारान्त पुंलिंग रूप पिअर, पिउ (पितृ)-पिता एकवचन बहुवचन पढमा । पिआ, पिअरो पिअरा पिअवो, पिअउ, पिअओ, पिउणो, पिऊ बीआ । पिअरं । पिअरे, पिअरा, पिउणो, पिऊ तइआ पिअरेण-णं पिअरेहि-हि-हिं पिउणा पिऊहि-पिऊहिं हिं च. छ. पिअरस्स पिअराण-णं पिउणो, पिउस्स पिऊण-णं पंचमी पिअस्तो, पिअराओ पिअरत्तो, पिअराओ, पिअराउ-हि-हिन्तो, पिअराउ-हि-हिन्तो-सुन्तो, पिअरा, पिअरेहि-हिन्तो-सुन्तो, पिउणो, पिउत्तो, पिउत्तो, पिऊओ-उ-हिन्तो पिऊओ-उ-हिन्तो-सुन्तो -११९
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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