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________________ पाठ 18 - (चालू) भविष्यकाल और क्रियातिपत्त्यर्थ और ऋकारान्त नाम 'सोच्छ' आदि दश धातु (३/१७१,१७२) संस्कृत प्राकृत संस्कृत प्राकृत श्रु = सोच्छ - सुनना मुच् = मोच्छ् - रखना, छोड़ना गम् = गच्छ - जाना वच् = वोच्छ - बोलना रुद् = रोच्छ - रोना | छिद् = छेच्छ - छेदना विद् = वेच्छ् - जानना मिद = भेच्छ - भेदना, भेद करना दृश् = दच्छ - देखना भुज् = भोच्छ - खाना, 1. सोच्छ आदि उपर्युक्त दश धातुओं के रूप बनाते समय भविष्यकाल के प्रत्ययों में से हि का विकल्प से लोप होता है | उदा. सोच्छ + हिइ = सोच्छिइ, सोच्छिहिइ । 2. उपर्युक्त दश धातुओं में प्र. पु. एकवचन के रूप में धातु के अन्त में विकल्प से अनुस्वार रखा जाता है - उदा. सोच्छं, सोच्छिंस्सं । गच्छ के रूप एकवचन बहुवचन प्र. पु. | गच्छं गच्छिस्सामो, गच्छिहामो, गच्छिमो, गच्छिहिमो, गच्छिस्सं, गच्छेस्सं, गच्छिस्सामु, गच्छिहामु, गच्छिमु, गच्छिहिमु, गच्छिस्सामि, गच्छेस्सामि, गच्छिस्साम, गच्छिहाम, गच्छिम, गच्छिहिम, गच्छिहामि, गच्छेहामि, गच्छिहिस्सा, गच्छिहित्था गच्छिमि, गच्छेमि, अ का ए होता है तब गच्छेस्सामो गच्छिहिमि, गच्छेहिमि | वगैरह रूप बनते हैं | व ११३
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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