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________________ 7. 8. मनुष्य पीड़ा में बहुत मोहित होता है । सभी प्राणी सुख (साय) की इच्छा करते हैं और दुःख (असाय) की इच्छा नहीं करते हैं 9. उत्तम पुरुष जिस कार्य का आरंभ करते हैं, उसको जरूर पूरा करते हैं । 10. ग्रीष्म ऋतु में सभी पशु, वृक्षों की छाया में विश्रान्ति लेते हैं । 11. दक्षिण दिशा में चोर गये 12. सभी जगह सुखियों को सुख और दुःखियों को दुःख होता है । 13. मैं जिनेश्वर की प्रतिमाओं की स्तुतियों द्वारा स्तुति करता हूँ । 14. साँप जीभ द्वारा दूध पीते हैं । 15. स्त्रियाँ बाग में घूमती हैं और पुष्पों को सूंघती हैं । 16. उसने तीर्थंकरों की कहानियों द्वारा बोध पाया । 17. पहले पृथ्वी पर बहुत राक्षस थें । 18. दुर्जन की जीभ में अमृत है लेकिन हृदय में विष है । 19. मैंने बहनों को बहुत धन दिया । 20. कृष्ण की स्त्री रुक्मिणी का पुत्र प्रद्युम्न है । 21. सास बहू पर कोप करती है । 22. वर्षावास में मुनि एक ही स्थान (वसहि) में रहते हैं । 23. रात्रि में स्त्रियाँ चन्द्र के प्रकाश में नृत्य करती हैं । 24. प्रभु की सेवा और कृपा से कल्याण होता है । 25. साधु प्राणान्त में भी असत्य नहीं बोलते हैं । 26. बालक गद्दी पर लेटता है । 27. स्त्री, लता और पंडित आश्रय बिना शोभा नहीं देते हैं । १०३
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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